बिहार वो धरती है, जिसने सदियों तक देश का नेतृत्व किया है। बिहार वो धरती है, जिसने एक से बढ़कर एक प्रतिभावान व्यक्तित्व मां भारती को दिए हैं। ये वो भूमि है जिसने भारत की आज़ादी की लड़ाई में नए प्राण फूंके, नई चेतना का संचार किया। इसी धरती ने, मोहनदास जी को महात्मा गांधी बना दिया। और ये सच्चाई है, जब-जब बिहार समृद्ध रहा है, तब भारत समृद्ध रहा है। इसलिए विकसित भारत के लिए, बिहार का विकसित होना उतना ही जरूरी है।
विकसित बिहार से विकसित भारत, ये संकल्प लेने के लिए, बेतिया से बेहतर, चंपारण से बेहतर और कोई स्थान हो सकता है क्या भला?
ये क्षेत्र प्रकृति प्रेमी, थारू जनजाति का क्षेत्र है। थारू समाज में प्रकृति के साथ प्रगति की जो जीवनशैली हम देखते हैं, वो हम सबके लिए सबक है। आज अगर भारत, प्रकृति की रक्षा करते हुए विकास कर रहा है, तो इसके पीछे थारू जैसी जनजाति की भी प्रेरणा है। इसलिए तो मैं कहता हूं कि विकसित भारत के निर्माण के लिए सबका प्रय़ास चाहिए, सबकी प्रेरणा चाहिए, सबकी सीख चाहिए।
मुझे खुशी है कि बिहार में विकास का डबल इंजन लगने के बाद, विकसित बिहार से जुड़े कार्यों में और तेजी आ गई है। आज भी करीब 13 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का उपहार बिहार को मिला है। इसमें रेल-रोड, इथेनॉल प्लांट, सिटी गैस सप्लाई, एलपीजी गैस, ऐसी अनेक अहम परियोजनाएं शामिल हैं। विकसित बिहार के लिए, हमें यही तेजी पकड़नी है, इसी तेजी को बनाए रखना है।
आजादी के बाद के दशकों में बिहार की एक बहुत बड़ी चुनौती रही है- यहां से युवाओं का पलायन। जब बिहार में जंगलराज आया, तो ये पलायन और ज्यादा बढ़ गया। जंगलराज लाने वाले लोगों ने सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार की चिंता की, बिहार के लाखों बच्चों का भविष्य दांव पर लगा दिया। बिहार के मेरे नौजवान साथी दूसरे राज्यों के दूसरे शहरों में रोजी-रोटी के लिए जाते रहे और यहां एक ही परिवार फलता-फूलता रहा। किस तरह एक एक नौकरी के बदले जमीनों पर कब्जा किया गया। क्या कोई भी व्यक्ति सामान्य मानवीय को इस प्रकार से लुटने वालों को माफ कर सकता है क्या? बिहार में जंगलराज लाने वाला परिवार बिहार के युवाओं का सबसे बड़ा गुनहगार है। जंगलराज के जिम्मेदार परिवार ने बिहार के लाखों नौजवानों से उनका भाग्य छीन लिया।
एनडीए [नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट] की डबल इंजन सरकार का प्रयास है कि बिहार के युवा को यहीं बिहार में नौकरी मिले, यहीं बिहार में रोजगार मिले। आज जिन हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है, उसके मूल में भी यही भावना है। आखिर इन परियोजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी कौन हैं? इसका सबसे अधिक लाभ उन नौजवानों को होगा, जो अभी रोजगार करना चाहते हैं, जो स्कूल-कॉलेज में पढ़ रहे हैं।
आज गंगाजी पर 6 लेन के केबल आधारित ब्रिज का शिलान्यास हुआ है। बिहार में 22 हज़ार करोड़ रुपए से एक दर्जन से अधिक पुल पर काम चल रहा है, जिनमें से 5 पुल तो गंगाजी पर बन रहे हैं। ये पुल, ये चौड़े रास्ते ही, वही तो विकास का मार्ग बनाते हैं, उद्योगों को लाते हैं। ये जो बिजली से चलने वाली ट्रेनें चल रही हैं, वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चलने लगी हैं, ये गति किसके लिए है? ये भी उन नौजवानों के लिए है, जिनके माता-पिता ने ऐसी सुविधाओं के सपने देखे थे। ये जो इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है- ये रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम होता है। इसमें मजदूर हो, ड्राइवर हो, सर्विस से जुड़े लोग हों, इंजीनियर हों, ऐसे अनेक क्षेत्रों के रोजगार इससे पैदा होते हैं। यानि ये जो हज़ारों करोड़ रुपए सरकार लगा रही है, ये पैसा बिहार के सामान्य परिवारों के पास ही पहुंचेगा। इससे रेत, पत्थर, ईंट, सीमेंट, स्टील, ऐसे अनेक उद्योगों को, फैक्ट्रियों को, छोटे-छोटे दुकानों को बल मिलने वाला है।
ये जितनी भी नई ट्रेनें चल रही हैं, पटरियां बिछ रही हैं, ये सब कुछ आज भारत में ही बन रहा है, मेड इन इंडिया है। यानि इसमें भी भारत के ही लोगों को रोजगार मिल रहा है। बिहार में भी रेल इंजन बनाने वाली आधुनिक फैक्ट्रियां एनडीए सरकार ने बनाई हैं। आज पूरी दुनिया में डिजिटल इंडिया की बहुत बड़ी चर्चा है। और मैं आपको एक बात और बोलूं? आज कई विकसित देशों में भी ऐसी डिजिटल व्यवस्था नहीं है, जो बेतिया में, चंपारण में उपलब्ध है।
आज बिहार समेत देशभर में इथेनॉल के प्लांट लगाए जा रहे हैं। कोशिश यही है कि गन्ना किसानों, धान किसानों की उपज से देश में गाड़ियां भी चलें और किसानों की कमाई भी बढ़े। कुछ दिन पहले ही एनडीए सरकार ने गन्ने की खरीद का दाम 340 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। कुछ दिन पहले ही एनडीए सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना शुरू की है। इसके तहत देश में, बिहार में हजारों गोदाम बनाए जाएंगे। बिहार के मेरे छोटे-छोटे किसान परिवारों का जीवन आसान हो, इसके लिए पीएम किसान सम्मान निधि के तहत भी उन्हें हजारों करोड़ रुपए की मदद दी गई है। यहां बेतिया के ही किसानों को करीब-करीब 800 करोड़ रुपए पीएम किसान सम्मान निधि के मिले हैं। और इन परिवारवादियों ने आपके साथ क्या किया इसका एक उदाहरण मैं आपको देता हूं। यहां बरौनी का खाद कारखाना कब से बंद पड़ा था। इन परिवारवादियों को कभी इसकी चिंता नहीं हुई। मोदी ने किसानों को, मजदूरों को इसे फिर से शुरू करवाने की गारंटी दी थी। आज ये खाद कारखाना, अपनी सेवा दे रहा है, और नौजवानों को रोजगार भी दे रहा है।
चुनाव में ये जो इंडी गठबंधन वाले हैं ना, उनको पता है अब वो कहीं के रहने वाले नहीं हैं। और अपनी हार तय देख, इंडी गठबंधन के निशाने पर खुद भगवान राम भी आ गए हैं। यहां बेतिया में मां सीता की अनुभूति है, लव-कुश की अनुभूति है। इंडी गठबंधन के लोग जिस तरह प्रभु श्रीराम और राम मंदिर के विरुद्ध बातें बोल रहे हैं, ये पूरे बिहार के लोग देख रहे हैं। और बिहार के लोग ये भी देख रहे हैं कि भगवान श्रीराम का अपमान करने वालों का साथ कौन दे रहा है। यही परिवारवादी हैं जिन्होंने दशकों तक रामलला को टैंट में रखा। यही परिवारवादी हैं जिन्होंने राममंदिर न बने, इसके लिए जी-तोड़ कोशिश की। आज भारत, अपनी विरासत, अपनी संस्कृति का सम्मान कर रहा है, तो इन लोगों को इसकी भी परेशानी हो रही है।एक तरफ नया भारत बन रहा है वहीं दूसरी तरफ आरजेडी [राष्ट्रीय जनता दल] , कांग्रेस और इनका इंडी गठबंधन, अभी भी 20वीं सदी की दुनिया में जी रहा है। एनडीए की सरकार कह रही है कि हम हर घर को सूर्यघर बनाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हर घर की छत पर सोलर प्लांट हो। उससे वो घर भी कमाए और उसे बिजली भी मुफ्त मिले। लेकिन इंडी गठबंधन, अभी भी लालटेन की लौ के ही भरोसे जी रही है। जब तक बिहार में लालटेन का राज रहा, तब तक सिर्फ एक ही परिवार की गरीबी मिटी, एक ही परिवार समृद्ध हुआ।
*प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आज बेतिया में दिए भाषण के सम्पादित अंश।