
आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से देश और समाज को तंत्र में गहराई से जमे भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक सपना दिखाया, इस खूबसूरत सपने पर केवल दिल्ली प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लाखों करोड़ों लोगों ने विश्वास किया। दिल्ली प्रदेश की जनता ने लगभग 12 वर्ष तक केजरीवाल और उनकी टीम और उनकी सरकार का हर तरह से भरोसा किया, लेकिन जब जब बदले में जनता को धोखा मिला तो फिर जनता ने इस बार के चुनाव में उन्हें कचरे के डब्बे में भी फेंकने में देर नहीं लगाई।
लेकिन केजरीवाल का उत्थान और पतन देश की जनता के खूबसूरत सपने के बनने और टूटने का तकलीफ देय सफर है। देश की जनता और समाज इस खूबसूरत सपने के टूटने से इतना आहत है कि आगे कई सालों बाद भी कोई भी नेता यदि भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने की बात कह कर अपनी नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की कोशिश करेगा तो देश की जनता उस पर किसी भी प्रकार से विश्वास नहीं करेगी।
मालूम हो कि अरविंद केजरीवाल का सिलेक्शन इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) में हो गया था और वर्ष 1992 में उनकी नियुक्ति भी हो गई। लेकिन उन्होंने महसूस किया कि सरकारी कार्यालय में बहु प्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने वर्ष 2000 में परिवर्तन नामक संस्था बनाई और कई अन्य साथियों के साथ सूचना के अधिकार पर आरटीआई का मूक आंदोलन शुरू किया।
वर्ष 2005 में भारतीय संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) का बिल पारित कर दिया। इसके बाद उन्होंने पूरे भारतवर्ष में वर्ष 2006 में आरटीआई के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान शुरू किया दूसरों को प्रेरित करने के लिए उन्होंने अपनी संस्था से आरटीआई पुरस्कार देना भी शुरू किया। इसी वर्ष उन्हें रेमन मैगसेसे पुरस्कार मिला।
5 अप्रैल 2011 को एक सशक्त जन लोकपाल विधेयक के निर्माण की मांग पर केंद्र सरकार की निष्क्रियता के विरोध में प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान में आमरण अनशन शुरू कर दिया इस आंदोलन में अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल भी जुट गये।
अन्ना हजारे के नेतृत्व में पूरे देश में भ्रष्टाचार के विरोध में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का आंदोलन चला और इस आंदोलन से ही उपजे केजरीवाल ने जब वर्ष 2012 में आम आदमी पार्टी बनाने का जिक्र अन्ना हजारे से किया तो उन्होंने इसका मुखर विरोध किया। लेकिन केजरीवाल ने यह तर्क दिया कि राजनीतिक गंदगी की सफाई करनी है तो हमें कीचड़ में उतरना ही होगा क्योंकि बिना नाली या नाले में उतरे गंदगी की सफाई नहीं की जा सकती। इसी के चलते अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों की छवि देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने वालों की बनी।
इसी छवि के सहारे आप जब पार्टी बनी तो दिल्ली वालों ने इस पार्टी और इसके नेताओं को हाथों-हाथ लिया वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप पार्टी को 70 में से 28 सीटें मिलीं उसने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई जो ज्यादा नहीं चली। इसका जनता में यह संदेश गया कि एक बार केजरीवाल की मजबूत सरकार बनाई जाए। जिसके चलते वर्ष 2015 के चुनाव में दिल्ली के मतदाताओं ने जी भर के आप पार्टी को और केजरीवाल को वोट दिया इसका परिणाम यह हुआ कि दिल्ली की कुल 70 सीटों में से 67 सीटें आम आदमी पार्टी को मिलीं और उसने रिकार्ड के साथ दिल्ली में सरकार बनाई। दिल्ली में दो बार आप पार्टी की सरकार बनी। तीसरी बार 2020 में आप पार्टी को 70 में से 62 सीटें मिलीं और उसने दिल्ली में सत्ता की हैट्रिक लगाई।
लेकिन शराब घोटाला, एक अस्पताल में एक ही फोन नंबर पर सैकडों मरीजों की जांच कराए जाने इसके अलावा 12 कमरों में 12 विद्यालय चलाने के आरोप के साथ-साथ उनके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगे। जनता उस समय ठगी रह गई जब उसने देखा की छोटी कार में चलने की घोषणा करने वाले तथा दो कमरे के मकान में रहने की घोषणा करने वाले अरविंद केजरीवाल लग्जरी कार में चलने लगे और मुख्यमंत्री के आवास को शीश महल बनाने में जुट गए। लाखों के पर्दे और सोफे बनवाने का आरोप लगा। इसी तरह उनके मंत्री सत्येंद्र जैन, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और खुद अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के मामले में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने तिहाड़ जेल पहुंचा दिया। इसका परिणाम वर्ष 2025 के चुनाव में यह रहा कि आप पार्टी सत्ता से बेदखल हो गई। स्वयं केजरीवाल और उनके कई बड़े नेता चुनाव हार गए। यानी जनता ने जब उन्हें अपने सपनों के अनुरूप नहीं पाया तो उन्हें और उनकी पार्टी को हरा दिया।
असल में केजरीवाल और उनकी पार्टी आप का हारना दिल्ली के मतदाताओं के सपनों के टूटने का परिणाम है। जब कोई अच्छी छवि का व्यक्ति जनता का विश्वास लेने के लिए उसे कोई सपना दिखाता है और उसका सपना सच करने की बजाय उसे छलने लगता है तब जनता बहुत आहत हो जाती है। अब इसका परिणाम यह होगा कि अगले कई वर्षों बाद भी यदि कोई नेता अरविंद केजरीवाल की तरह देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने की बात कहेगा तो देश और समाज तथा मतदाता उस पर कतई विश्वास नहीं करेगा।
*वरिष्ठ पत्रकार