विरासत स्वराज यात्रा
– डॉ राजेंद्र सिंह*
जलवायु परिवर्तन मानवीय व्यवहार का परिवर्तन है
नदी की शिक्षा नहीं, विद्या की ज़रुरत है। हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझना है, तो लोगों से ही सीखना और समझना पड़ेगा। लोगों से सीखे-समझे बिना, हम जलवायु को ठीक से नहीं समझ सकते। जलवायु परिवर्तन मानवीय व्यवहार का परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन, मानवीय व्यवहार की परिवर्तन में से जन्मा है, इसलिए मानवीय व्यवहार परिवर्तन को ठीक करने की जरूरत है, यह ठीक होगा तो जलवायु परिवर्तन भी स्वतः ठीक ठीक हो जायेगा।
हमें जलवायु परिवर्तन के समाधानों को खोजना होगा। जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण, मानवीय जीवन अैर खासकर किसानों के जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है।
जंगल लगाओ और हरियाली बढ़ाओ। पुरानी संरचनाओं में जल को ठीक से प्रबंधन करने की जरूरत है, जिससे भूजल पुनर्भरण हो सके।जल का ठीक से प्रबंधन करना है तो हमें वर्षा चक्र को फसल चक्र से जोड़ना होगा। जंगलों का कटान बहुत तेजी से हो रहा है। इन जंगलों के कारण जो नदियों की सहायक नदियां पहले पूरे प्रभाव से बहती थी, वह अब अप्रैल आते – आते सूख जाती हैं। इस कारण से अप्रैल से जून तक आजकल बहुत जल संकट होता है। हमें नदी पुनर्जीवन का कार्य करना होगा।
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यदि आप नदी की विद्या लेना चाहते हैं तो पूरा ध्यान केंद्रित करके आपको नदी की विद्या को सीखना और समझना पड़ेगा। हमारा रिश्ता नदी के साथ जुड़ा हुआ है। पहले हम नदियों के प्रवाह को अपनी सेहत और जीवन के साथ प्रत्यक्ष रूप में जोड़कर देखते थे। हमें मालूम था कि नदी का प्रवाह हमारा आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक प्रवाह है।
लेकिन अब हमने नदी के स्वस्थ और अपने स्वस्थ को साथ में जोड़ना छोड़ दिया है।नदी की अविरलता और निर्मलता पीछे रह गई है। इस जरूरत को पूरी करने के लिए भारत के युवाओं को नदी को समझ कर नदी पुनर्जीवन के काम में लगना होगा।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।