वाराणसी: बनारस के बहुचर्चित हाइप्रोफाइल विभूति भूषण सिंह हत्याकांड (एफ आई आर नम्बर 66/2022) को शासन स्तर पर क्राइम ब्रांच – क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीबी-सीआईडी) को सौंपा गया है। इस हत्या में नामजद आरोपी महादेव महाविद्यालय के प्रबंधक अजय कुमार सिंह और उनकी पत्नी सीमा सिंह, पुत्र पार्थ सिंह, चचेरे भाई अवनीश कुमार सिंह, विनोद कुमार सिंह समेत कॉलेज कर्मचारी पीयूष पटेल के खिलाफ मृतक विभूति भूषण सिंह के भाई कीर्ति भूषण सिंह ने दफा 302,506, 120बी के तहत पहली प्राथमिकी 11 फरवरी, 2022, को कैंट थाने में दर्ज करवाई थी।
मृतक के परिवारजनों के अनुसार पुलिस इस बहुचर्चित हत्याकांड के सभी आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही थी और इसके विरुद्ध इलाहाबाद हाइकोर्ट में फरवरी 2022 को दाखिल याचिका में पुलिस की भूमिका की तरफ संदिग्ध किरदार अदा करने का उन्होंने सबूत भी दिया जिसे कोर्ट ने माना और इस हत्या की वजहों की निष्पक्ष जांच करने के लिए आदेश दिया।
परिवारजनों के अनुसार कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत के कारण गुपचुप तरीके से इस मामले को निपटाने के साथ रफा दफा करने की कोशिश की गई क्योंकि पुलिस की केस डायरी में इस संगीन मामलें की कोई जांच ही नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन कैंट थाना प्रभारी अजय सिंह इसे एक्सीडेंट के मामले में बदलने के लिए वादी पर दबाव बना रहे थे जिसके विरुद्ध कीर्ति भूषण सिंह ने शासन स्तर पर पैरवी के साथ कानून का सहारा लिया।
अब इस हत्याकांड की जांच विभूति की हत्या के ठीक एक साल बाद यानी 10 फरवरी 2023 को क्राइम ब्रांच – क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीबी-सीआईडी) को सौंपी गई है।
इस हत्या के पीछे फ़र्ज़ी दस्तावेजों पर महादेव महाविद्यालय की मान्यता लेने और राजस्व विभाग में किये गए फर्जीवाड़े को कारण बताया जा रहा है। इसमें संलग्न आरोपियों पर हत्या का इलज़ाम है जिसकी निष्पक्ष जांच को लेकर वादी मुकदमा ने प्रशासन और शासन से एजेंसी से करवाई जाने की मांग की थी। इस दरम्यान सूत्रों के अनुसार महादेव महाविद्यालय के बीएड के फर्जीवाड़े पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय पहले ही 2021 में अपना शिकंजा कस चुका है जिसमें कॉलेज की बीएड की मान्यता रद्द होने की कार्रवाई पूरी हो चुकी है।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो