बदरीनाथ (चमोली): करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के केंद्र मध्य हिमालय स्थित बदरीनाथ मंदिर के कपाट आज शनिवार 18 नवंबर, 2023, को वैदिक मंत्रोचार एवं परंपरानुसार शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके पहले बदरीनाथ मंदिर के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय दर्ज हो गया । 247 वर्षों के बाद ज्योतिष पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने की अवसर पर उपस्थित रहे।
यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 1776 में ज्योर्तिमठ में आचार्य ना होने से टिहरी के तात्कालिक नरेश ने केरल के नंबूदरी ब्राह्मण को बदरीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त कर उसे रावल की उपाधि दी। इसके बाद से ही यहां मुख्य पुजारी के पद पर केरल के नम्बूदरी ब्राह्मण अपनी सेवाएं देते हैं इस बार की पूजा में मुख्यपुजारी के रूप में ईश्वरप्रसाद नम्बूदरी रावल रहे ।
वर्तमान शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आचार्य पद पर अभिशिक्त होने के बाद इस यात्रा कल में बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने एवं कपाट बंद होने के अवसर पर उपस्थित होकर वर्षों पुरानी परंपरा को एक बार फिर से पुनर्जीवित किया। मंदिर के इतिहास में 247 वर्षों के बाद ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती की उपस्थिति मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने के अवसर पर रही ।
यह यात्रा काल यात्रियों की संख्या की दृष्टि से भी ऐतिहासिक रहा। इस यात्रा कल में बदरीनाथ मंदिर के कपाट वैशाख शुक्ल सप्तमी तदनुसार 27 अप्रैल 2023 को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए तब से लेकर कपाट बंद होने तक बदरीनाथ धाम में 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किया।
शंकराचार्य ने कुशल यात्रा प्रबंधन के लिए सभी संबंधित संस्थाओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इसके लिए बदरी नाथ केदारनाथ मंदिर समिति प्रशासन, जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन तथा मंदिर परंपरा से जुड़े सभी लोगों को भी धन्यवाद दिया। उक्त जानकारी शंकराचार्य मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने दी।
-ग्लोबल बिहारी ब्यूरो