संजय त्रिपाठी द्वारा निर्देशित बिन्नी एंड फॅमिली एक हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म है जो पारिवारिक रिश्तों और रोज़मर्रा की ज़िंदगी की मजेदार घटनाओं पर आधारित है। फिल्म की कहानी बिन्नी और उसके परिवार के चारों ओर घूमती है, जिसमें हर सदस्य की अपनी विशेषताएँ और समस्याएँ हैं।
फिल्म में हास्य के साथ-साथ भावनात्मक तत्व भी मौजूद हैं, जो कहीं कहीं पर आपकी आंखों के कोरों को थोड़ा गीला कर जाती है। पात्रों के बीच की केमिस्ट्री काफी अच्छी है, और कई दृश्य तो बड़े ही मजेदार और दिलचस्प हैं बन पड़े हैं।
यदि आप हल्की-फुल्की कॉमेडी और पारिवारिक ड्रामा पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए बेहतरीन है। इस फिल्म में बिहार की विद्रोही किशोरी बिन्नी (अंजिनी धवन) और उसके रूढ़िवादी दादा (पंकज कपूर) एक नाटकीय घटना के बाद जुड़ते हैं। बिन्नी एंड फॅमिली के माध्यम से निर्देशक ने बड़ी ही खूबसूरती से जेनरेशन गैप जैसे संवेदनशील मुद्दे को उठाया है, और वो अपने मकसद में कामयाब भी रहा है।
जैसा मैंने पहले ही बताया, इस फिल्म का भावनात्मक पक्ष काफी मजबूत है, जो फिल्म को एक कॉमेडी से कहीं आगे ले कर जाती है। फिल्म में परिवार के सदस्यों के बीच के रिश्तों, संघर्षों और समर्पण को खूबसूरती से दर्शाया गया है।
फिल्म में परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और समर्थन का अहसास होता है। यह दिखाया गया है कि कैसे बिन्नी और उसके परिवार वाले एक-दूसरे के लिए खड़े रहते हैं, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी भिन्न क्यों न हों। हर पात्र की अपनी समस्याएँ हैं, जैसे करियर के दबाव, व्यक्तिगत आकांक्षाएँ, और सामाजिक अपेक्षाएँ। इन संघर्षों के माध्यम से दर्शकों को यह समझ में आता है कि जीवन में चुनौतियाँ सामान्य हैं और उनका सामना किस प्रकार करना चाहिए।
फिल्म में पात्रों का विकास भी महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, बिन्नी और उसके परिवार के सदस्य अपने अपने अनुभवों से सीखते हैं और एक-दूसरे के प्रति बहुत ही ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
कुछ दृश्य तो बेहद ही भावनात्मक बन पड़े हैं, जैसे परिवार के बीच की बातचीत, रिश्तों में टकराव, और अंत में एकता का संदेश। ये पल दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं और उन्हें सोचने पर मजबूर करते हैं।
यह फिल्म न केवल एक मनोरंजक फिल्म है, बल्कि यह दर्शाती है कि परिवार का महत्व और भावनात्मक समर्थन जीवन में कितना आवश्यक है। जेनरेशन गैप जैसे संवेदनशील मुद्दे को इतनी बखुबी से उठाया गया है कि ऐसा लगता है कि आप कहीं ना कहीं अपने आप को फिल्म के पात्रों से रिलेट करने लगते हैं। बिन्नी और उसके दादाजी के बीच के संबंध और इस दरम्यान अंतर्द्वंद्व को निर्देशक ने बड़ी खूबसूरती से फिल्माया है। एक नया आयाम दिया है।
यह फिल्म एक साथ युवाओं को तो पसंद आएगी ही आएगी साथ ही साथ बुजुर्गो को भी सोचने पर मजबूर करेगी कि आखिरकार दूरी कहां है। गैप कहां बन रहा है। जेनरेशन गैप तो खैर एक मुद्दा है ही, पर तकलीफ़ हमें वहां आती है जब इस मुद्दे पर बात ही नहीं करना चाहते गोया यह कोई मुद्दा ही ना हो। बदलते हुए सामाजिक परिवेश और व्यवस्था में जहां एकल परिवार ने अपना स्थान बना लिया है। संयुक्त परिवार का अस्तित्व अब लगभग खत्म हो चला है। कहने को दोषी कोई नहीं है, पर दोषमुक्त भी कोई नहीं है। हम सभी दोषी हैं। हमें सामाजिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए। अपने से छोटों के साथ खुलकर बात करनी होगी तभी हम इस दूरी को पाट पाएंगे।
कुल मिला जुलाकर बालाजी मोशन पिक्चर्स, महावीर जैन फिल्म्स और वेवबैंड प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित बिन्नी एंड फॅमिली एक मनोरंजक फिल्म है, जो आप परिवार के साथ देख सकते है।
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