फोटो: अशोक सिन्हा
जीएम आयात सुझाव से किसान यूनियन नाराज
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने नीति आयोग के उस सुझाव को देश और किसान हितों के खिलाफ करार दिया है, जिसमें भारत को अमेरिका से कृषि आयात पर टैरिफ घटाने की बात कही गई है। हाल में नीति आयोग ने भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार बढ़ाने की दृष्टि से एक वर्किंग पेपर जारी कर सिफारिश की है कि प्रस्तावित भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत चावल, काली मिर्च, सोयाबीन तेल, झींगा, चाय, कॉफी, डेयरी उत्पाद, पोल्ट्री, सेब, बादाम, पिस्ता, मक्का और आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (जीएम) सोया उत्पादों के लिए अपना बाजार खोले। संगठन को आशंका है कि यह कदम कृषि पर निर्भर 70 करोड़ भारतीयों के लिए जोखिम भरा होगा और यह सुझाव भारत सरकार की स्वावलंबन नीति को पलीता लगाने की तैयारी है।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने नीति आयोग की सिफारिशों को गलत और देशहित के खिलाफ बताते हुए सरकार से इन पर अमल न करने की मांग की है। यूनियन ने सरकार से नीति आयोग की किसान विरोधी सिफारिशों की जांच करने और गलत सिफारिश करने वाले लोगों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने की अपील की है। यूनियन का कहना है कि नीति आयोग को किसानों की मेहनत और देश की आत्मनिर्भरता पर भरोसा करना चाहिए, न कि विदेशी दबाव में ऐसे सुझाव देने चाहिए जो भारत के लिए नुकसानदेह हों।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि जब सरकार तिलहन में आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रही है, तब खाद्य तेल के आयात शुल्क में कमी का सुझाव देना अपने आप में एक विरोधाभासी निर्णय है। उन्होंने सवाल उठाया कि अमेरिका के साथ टैरिफ लड़ाई में नीति आयोग क्यों घुटने टेक रहा है। मलिक ने देश व किसान हितैषी नीति के खिलाफ नीति आयोग के सुझावों पर ऐतराज जताते हुए कहा कि नीति आयोग के सलाहकार अपनी सिफारिशों पर पुनर्विचार करते हुए सरकार की स्वावलंबन नीति के आधार पर आगे बढ़ने की तैयारी करें और किसान हितैषी विषयों को प्राथमिकता दें, ताकि देश के किसानों के हितों को बलि न चढ़ाया जाए।
मलिक ने जीएम सोया और मक्का आयात के सुझाव पर कड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सर्वविदित है कि अमेरिका में जी.एम. सोया एवं मक्का दोनों को पशु खाद्य के रूप में उपयोग कर, कुछ मात्रा में इससे ईथेनॉल बनाया जाता है। ऐसे में इस उपज को भारत में आयात करने का सुझाव क्यों दिया गया है? जब देश में खाद्य संबंधी आयातित सामग्री के साथ नॉन जी.एम. सोर्स एवं नॉन जी.एम. सर्टिफिकेट जरूरी है, तब जी.एम. के आयात के पक्ष में नीति आयोग क्यों है। यह सुझाव कई गंभीर प्रश्न खड़े करता है। मलिक ने बताया कि सरकार ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है और वर्तमान में 18.5 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है। यह लक्ष्य देश के मक्का और गन्ना उत्पादकों से पूरा हो सकता है। फिर देश का मक्का और गन्ना छोड़कर अमेरिकी जीएम मक्का आयात की सिफारिश क्यों? उन्होंने इसे किसान हितों के साथ टकराव और नीति आयोग की अनीतिपूर्ण सोच का नतीजा बताया, जिसे तुरंत सुधारना जरूरी है।
यूनियन ने नीति आयोग पर अमेरिकी दबाव में झुकने का आरोप लगाया। मलिक ने कहा कि यदि नीति आयोग टैरिफ वार में खुद को अक्षम मानता है, तो उसे भारत के किसानों से सहायता मांगनी चाहिए। भारत के छोटे-छोटे मेहनतकश किसान हिम्मत के साथ इन समस्याओं को सुलझाने का सामर्थ्य रखते हैं। बगैर जी.एम. के ही भारत सभी फसलों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर चुका है। दलहन और तिलहन में सरकार की नीति का साथ मिले तो किसान भारत को स्वावलंबी बना सकते हैं। मलिक ने कहा कि ऐसी स्थिति में अमेरिकी दबाव में नीति आयोग का झुकना भारत के लिए ठीक नहीं। यदि नीति आयोग को देश के सामर्थ्य पर भरोसा नहीं, तो सरकार को नीति आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंतन मनन करना जरूरी है।
मलिक ने 2018 में वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत बनी पहली कृषि निर्यात नीति का उल्लेख किया। इसमें दुनियाभर में स्थित भारत के दूतावासों में एक सुरक्षित टेबल स्थापित कर, सिर्फ कृषि व्यापार बाजार की इंटेलीजेंस के बारे में जानकारी एकत्र कर भारत से निर्यात की व्यवस्था बनाने की बात कही गई थी। उन्होंने पूछा कि नीति आयोग इस दिशा में क्यों नहीं बढ़ रहा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो
