प्रायः देखा जाता है कि जिन पेड़-पौधों का संबंध किसी देवी- देवता और धार्मिक आस्था से है, उनके सुरक्षित रहने की संभावना सामान्य पेड़ पौधों की अपेक्षा कई गुना अधिक रहती है। ऐसी ही एक खास वनस्पति है बिल्व या बिल्वपत्र। बोलचाल में इसे बेल या बेलपत्ती भी कहा जाता है। भगवान भोलेनाथ को बिल्वपत्र अत्यंत प्रिय हैं। लेकिन ये औषधीय गुणों की भी खान है।
अक्सर यह बात सुनने को मिलती है कि प्राचीन समय मे घने जंगलों के बीच साधना के समय उपवास में महान साधु संत जंगली फलों, कन्दो और बेलपत्रों को ही ग्रहण किया करते थे। अर्थात इनमें पोषक तत्वों की जानकारी बहुत पहले से ही थी। इसके अलावा बिल्व के फलों में कठोर एवं मजबूत छिलकों के भीतर भी स्वादिष्ट गूदा भरा होता है, जिसे फल की तरह खाया जाता है। लेकिन अगर इसका जूस बनाया जाए तो यह डिहाइड्रेशन लू से बचाव की अचूक औषधि बन जाती है।
फलों को सीधे खाने से अधिक जूस कैसे फायदेमंद होता है, तो इसके लिए बता दूँ कि रोगी अवस्था मे ठोस से अधिक तरल भोज्य पदार्थ फायदेमंद होता है। कुछ फल सीधे खाये जा सकते हैं सभी नही जैसे कि बेल, कबीट, मौसंबी, नीम्बू आदि। इसीलिये इनका जूस या शर्बत बनाना अधिक उपयुक्त होता है।
गर्मियों में होने वाली पेशाब में जलन व ठनके जैसी बीमारियों में भी बेल का जूस कारगर है। ज्यादातर जंगली फलों के समान ही इसमें भी कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर जैसे सूक्ष्म तथा वृहद पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। गूदे में विटामिन ए, बी, और सी, प्रोटीन और फाइबर्स भी पाये जाते हैं। इसके मीठे फल इंसानों सहित जंगली पशु-पक्षियों के लिए ऊर्जा का भंडार होते हैं। इसके फल, फूल, पत्तियाँ, जड़ व छाल सभी औषधीय महत्व के होते हैं। शोध कार्यो से भी यह स्पष्ट हो चुका है कि इसमें कई महत्वपूर्ण रसायन जैसे अल्फा कुर्कुमिन, अल्फा जिन्जीबरीन, लेक्टिन, सैलिसिलिक एसिड आदि पाये जाते हैं, जो शरीर की विभिन्न चलापचयी क्रियाओं में सहायक होते हैं।
बेल के जूस की प्रवत्ति शीतल होती है अतः इसे गर्मियों में पसंद किया जाता है। इसे मधुमेह के रोगी, हृदय रोगी, रक्तचाप के मरीज भी ग्रहण करते हैं। यह सभी के लिए फायदेमंद होता है। इसका जूस पसंद अनुसार मीठा और नमकीन दोनो तरह से बनाया जा सकता है।
जूस बनाने के लिए इसके गूदे को एक बर्तन में लेकर अच्छी तरह फेंट लें और फिर पानी मिला दें। अब पानी को छान लें और इसमें कूटा हुआ पुदीना, अदरख, जीरा, काली मिर्च, सौंफ, अजवाईन, काला नमक थोड़ी मात्रा में गुड़ आदि मिलाकर पुनः घोल लें। मजेदार जूस तैयार हो जायेगा।
जय भोला जय भंडारी तेरी है महिमा न्यारी, जो तूने प्रकृति में इतने महत्वपूर्ण औषधीय पौधों का वरण किया और इन्हें संरक्षित रखा।