अरावली की सुनो पुकार
अरावली की सुनो पुकार
सुनो इसे सब बारम्बार
जनता न्यायालय सरकार
प्रकृति की नहीं होती हार
नहीं तो सब पछताएंगे
हाथ मलते रह जाएंगे
अरावली कर रही पुकार
छोड़ो छोड़ो झूठा अहंकार
मुझे चाहिए पूरी आजादी
नहीं तो होगी पूरी बर्बादी
मेरा है पूरा पूरा अधिकार
जीवित रहने का अधिकार
मुझे सुरक्षित रहने दो
अपनी प्रकृति से जीने दो
सबको बाटूंगी भरपूर प्यार
हरियाली खुशहाली जलधार
सब मिलकर है मेरी जान
दुनिया में पुरानी पहचान
जीवन सभी प्राणी पाएंगे
आगे सभी बढ़ते जाएंगे
रेगिस्तान को रोके खड़ी हूँ
जीवन की अद्भुत लड़ी हूँ
गुजरात रंगीला राजस्थान
हरियाणा दिल्ली की शान
बर्बाद होने से मैंने रोका
मेरे साथ यह कैसा धोखा
मेरी बहुत पुरानी विरासत है
तुम्हें लगी विकास की हाजत है
करना चाहते हो मेरा नाश
इससे होगा सबका विनाश
जनता जब जग जाएगी
अंधेरी सोच मिट जाएगी
सत्ता प्रशासन खनन दलाल
नहीं गलेगी तुम्हारी खोटी दाल
शोषण-दोहन लूट-खसोट
इनसे मत करो मुझ पर चोट
नहीं तो खूब पछताओगे
हाथ मलते रह जाओगे
संभलो सुधरो अरावली बचाओ
जल-जंगल-जमीन का भविष्य बनाओ
नहीं होगी तब कभी किसी की हार
अरावली पर्वतमाला सेवा को तैयार
भर-भर बांटेगी जीवन का स्नेह
साफ-सुथरा मौसम, भरपूर मेह
फसलें खूब लहलहाएगी
खुशियां जीवन में भर जाएगी
पीढ़ियां रखेंगी सबको याद
नहीं होगा कुछ भी बर्बाद
अरावली विरासत बच जाएगी
पीढ़ियां जी भर खुशियां मनाएंगी।।

–
प्रकृति है तो हम है मां है तो हम है।