रविवारीय: लेडिज टेलर
लेडिज टेलर – जैसा कि नाम से ही मालूम पड़ता है – महिलाओं के कपड़े सिलने वाला एक व्यक्ति। लेडिज टेलर के नाम पर कुछ फिल्में भी बनी थीं। एक फिल्म में संजीव कुमार ने हीरो का किरदार निभाया था, तो दूसरी फिल्म जो बहुत पुरानी नहीं कही जा सकती है, वो राजपाल यादव को लेकर बनी थी। दक्षिण भारत में भी इस नाम से फिल्म बन चुकी है।
लेडिज टेलर के बारे में क्या कहा जाए? अगर इन्होंने कुछ करने को ठान लिया तो फिर भगवान ही मालिक। वैसे भगवान को बीच में लाने की जरूरत नहीं। हम सभी इनकी ताकत और क्षमता से पुरी तरह से वाकिफ हैं। प्रबंधन कुशलता तो कोई इनसे सीखे।
यहां पर मैं आपको कुछ बातें जो खासकर लेडिज टेलर से जुड़ी हुई हैं उनके बारे में बताना चाहता हूँ। शायद खुलकर आने में संकोच करें पर सभी मर्दों को मालून है महिलाओं को समझना कितना मुश्किल काम है। पढ़ लिखकर डिग्रियां हासिल करना एक अलग बात है पर आपके तरकश में जितने भी तीर हैं आप चला लें, इनका एक ब्रह्मास्त्र ही काफी है आपकी क्षमता बताने को।
पता नहीं लेडिज टेलर के बारे में आपका क्या मत है। क्या अनुभव आपने संजोए हैं। पर हो सकता है कि आप मेरी बातों से इत्तेफाक रखें।
कुछ तो बात है लेडीज टेलर में। लेडिज टेलर – एक सदा हंसता मुस्कुराता हुआ सौम्य सा दिखता एक बंदा। कपड़ों का नाप लिया और उसे सिलकर देने के लिए एक तय दिन उसने दे दिया। आपने उसे हिदायत भी दे दी भैया समय पर सिलकर दे देना। मुझे भाई के बेटे की ससुराल में एक शादी में जाना है। लेडिज टेलर ने भी अपना बड़ा सा मुंह खोला और बहुत ही इत्मीनान के साथ कहा बिल्कुल बहनजी / भाभी जी / दीदी / अम्मा जी… जितने भी आदर सूचक शब्द होते हैं उसे सही जगह इस्तेमाल करते हुए बिल्कुल ही इत्मीनान से कहा ‘ काम बिल्कुल तसल्लीबख़्स हो जाएगा ‘।
खैर! वो दिन आ गया। आप को सुबह में ही यह हिदायत दे दी गई कि आज दफ्तर से आते हुए टेलर के यहां से याद करके कपड़े ले आना। भूलना मत। आज की ही तारीख है।
क्या बताऊं भाई साहब आपको ये जो लेडिज टेलर हैं क्या मजाल कि जिस दिन इन्होने कहा है उस दिन ठीक समय पर आपको कपड़े सिलकर दे दें। आपके पहुंचने पर बड़े ही इत्मीनान से कहेंगे, बस थोड़ा सा ही काम बचा है। बस थोड़ी देर में किए देता हूँ। अगर आपने रूकने की कोशिश की तो बड़े प्यार, आदर अदब से कहेंगे भाई साहब कल दफ्तर से आते हुए ले लेना। मैं निश्चित ही बना कर रखूंगा। बस आप आएंगे और मैं आपको पैकेट दे दूंगा।
अब आप कुछ नहीं कर सकते हैं। आपकी मजबूरी है और इस बात को आपका वो लेडिज टेलर बखूबी समझता है। वो जानता है कि आप उससे बहस भी नहीं कर सकते। लड़ाई तो बहुत दूर की बात है।
क्या आसमान टूट पड़ेगा अगर इन्होंने समय पर कपड़े सिलकर दे दिया तो? मर्दों के साथ तो ऐसा नहीं होता है। उनके कपड़े तो एक दिन पहले ही सिलकर तैयार कर दिए जाते हैं।
कितनी विलक्षण प्रतिभा के स्वामी हैं ये लेडिज टेलर। जिन महिलाओं की क्षमताओं का पूरा विश्व लोहा मानता हो, क्या आपने भी देखा है वो यहां बिल्कुल ही चुप्पी साध लेती हैं? मुझे पूरा यकीन हैं कि आप भी यह जानते हैं। कुछ तो जरूर विशेष बात है इन लेडिज टेलरों में!
खैर! मैं महिलाओं की भावना को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता पर सिर्फ जानना चाहता हूँ कि क्या आप बता सकते हैं आखिर लेडिज टेलर में ऐसी क्या खास बात है कि महिलाएं, जो सब को नियंत्रित करने की क्षमता रखती हैं, वो इस विलम्ब को ना सिर्फ स्वीकार लेती हैं पर यहां पर आश्चर्य जनक रूप से बिल्कुल ही चुप्पी साध लेती हैं। आपने जरा भी चूं चपड़ किया नहीं कि सारी बला आपके मत्थे। अब आप झेलो। कोई बचाने नहीं आने वाला। पर यहां लेडिज टेलर ही एक महामानव है जिसकी ज़िद के आगे शायद ही किसी महिला की भी चल पाए।