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December 22, 2024

2 thoughts on “रविवारीय: गुज़रा हुआ ज़माना

  1. जीवन एक वर्तुल की तरह है जिसमें गुजरे जमाने की समरूपी स्थितियों की पुनरावृत्ति होती रहती है। जीवन यही तो है। बीज से वृक्ष और फिर वृक्ष से बीज की ओर यात्रा यही जीवन का वर्तुल है।
    मानव जीवन में शरीर के साथ-साथ भावनाओं की भी एक यात्रा अनवरत प्रवाहमान रहती है। जिसमें प्रतिपल हम अपने जीवन की हर्ष-विषाद की अनुभूतियों को अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं।
    श्री वर्मा जी की लेखनी में विशिष्ट बात यह है कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के हर अनुभव को बेहद खूबसूरती व कलात्मकता के साथ अपने ब्लॉग के माध्यम से एक अर्थ प्रदान करते हैं। उनकी अभिव्यक्ति इतनी जीवन्त होती है कि हर किसी को समानुभूति का एहसास कराने में सफल होती है।

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