वारसॉ: आप सभी [भारतीय समुदाय के लोग] पोलैंड के अलग-अलग हिस्सों से आए हैं, सबकी अलग-अलग भाषाएं हैं, बोलियां हैं, खान-पान हैं। लेकिन सब भारतीयता के भाव से जुड़े हुए हैं। आपने यहां इतना शानदार स्वागत किया है, मैं आप सभी का, पोलैंड की जनता का इस स्वागत के लिए बहुत आभारी हूँ।
जिस प्रकार आपने यूक्रेन में फंसे हमारे बच्चों की मदद की, वो हम सभी ने देखा है। आपने उनकी बहुत सेवा की थी। आपने लंगर लगाए, आपने अपने घर के दरवाज़े खोले, अपने रेस्तरां खोल दिए। पोलैंड की सरकार ने तो वीज़ा जैसे बंधनों को भी हमारे स्टूडेंट्स के लिए हटा दिया था। यानि पोलैंड ने पूरे मन से हमारे बच्चों के लिए दरवाज़े खोल दिए थे। आज भी जब मैं यूक्रेन से लौटे बच्चों से मिलता हूँ, तो वे पोलैंड के लोगों की और आपकी खूब प्रशंसा करते हैं। इसलिए आज मैं यहां 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से, आप सभी का, पोलैंड के लोगों का अभिनंदन करता हूं, मैं आपको सैल्यूट करता हूं।
भारत और पोलैंड के समाज में अनेक समानताएं हैं। एक बड़ी समानता हमारी डेमोक्रेसी की भी है। मुझे खुशी है कि नई टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भारत और पोलैंड के बीच पार्टनरशिप लगातार बढ़ रही है। बहुत सी भारतीय कंपनियों ने यहां इन्वेस्ट किया है, जॉब्स क्रिएट की हैं। पोलैंड की अनेक कंपनियों ने भारत में अवसर बनाए हैं। कल मेरी मुलाकात, राष्ट्रपति [आंद्रजेज] डूडा जी और प्रधानमंत्री [डोनाल्ड] टुस्क जी से भी होने वाली है। इन मुलाकातों से भारत-पोलैंड की शानदार साझेदारी और मज़बूत होने वाली है। प्रधानमंत्री टुस्क तो भारत के बहुत अच्छे मित्र हैं। जब वे यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष थे, तब भी मेरी कई बार उनसे मुलाकात हो चुकी है।
21वीं सदी का आज का भारत, अपनी पुरानी वैल्यूज, अपनी विरासत पर गर्व करते हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। आज दुनिया, भारत को उन खूबियों के कारण जानती है, जिसे भारतीयों ने सारी दुनिया के सामने साबित करके दिखाया है। हम भारतीयों को एफर्ट्स, एक्सीलेंस और एम्पैथी के लिए जाना जाता है। हम दुनिया में जहां भी जाते हैं, हम भारत के लोग मैक्सिमम एफर्ट्स करते दिखाई देते हैं। एंट्रेप्रेन्योरशिप हो, केयर गिवर्स हों या हमारा सर्विस सेक्टर हो। भारतीय अपने एफर्ट्स से अपना और अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आईटी सेक्टर हो या भारत के डॉक्टर्स हों, सभी अपनी एक्सीलेंस से छाए हुए हैं।
45 साल बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री पोलैंड आया है। कुछ महीने ही पहले मैं ऑस्ट्रिया गया था। वहां भी चार दशक बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री वहां पहुंचा था। ऐसे कई देश हैं, जहां दशकों तक भारत का कोई प्रधानमंत्री पहुंचा नहीं है। लेकिन अब परिस्थितियां दूसरी हैं। दशकों तक भारत की नीति थी कि सारे देशों से समान दूरी बनाए रखो। आज के भारत की नीति है, सारे देशों से समान रूप से नजदीकी बनाओ। आज का भारत सबसे जुड़ना चाहता है, आज का भारत सबके विकास की बात करता है, आज का भारत सबके साथ है, सबके हित की सोचता है।
हमें गर्व है कि आज दुनिया, भारत को विश्वबंधु के रूप में सम्मान दे रही है। आपको भी यहां यही अनुभव आ रहा है ना, मेरी जानकारी सही है ना? हमारे लिए ये जिओ-पॉलिटिक्स का नहीं है, बल्कि संस्कारों का, वैल्यूज़ का विषय है। जिनको कहीं जगह नहीं मिली, उनको भारत ने अपने दिल और अपनी ज़मीन, दोनों जगह स्थान दिया है। ये हमारी विरासत है, जिस पर हर भारतीय गर्व करता है।
पोलैंड तो भारत के इस सनातन भाव का साक्षी रहा है। हमारे जाम साहब को आज भी पोलैंड में हर कोई, दोबरे यानि गुड महाराजा के नाम से जानता है। वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान, जब पोलैंड मुश्किलों से घिरा हुआ था, जब पोलैंड की हजारों महिलाएं और बच्चे शरण के लिए जगह-जगह भटकते थे, तब जामसाहब, दिग्विजय सिंह रंजीत सिंह जाडेजा जी आगे आए। उन्होंने पोलिश महिलाओं और बच्चों के लिए एक विशेष कैंप बनवाया था। जाम साहब ने कैंप के पोलिश बच्चों को कहा था, जैसे नवानगर के लोग मुझे बापू कहते हैं, वैसे ही मैं आपका भी बापू हूँ ।
मेरा तो जाम साहब के परिवार से काफी मिलना-जुलना रहा है, मुझ पर उनका अपार स्नेह रहा है। कुछ महीने पहले भी मैं वर्तमान जाम साहब से मिलने गया था। उनके कमरे में पोलैंड से जुड़ी एक तस्वीर आज भी है। औऱ मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि जाम साहब के बनाए रास्ते को पोलैंड ने आज भी जीवंत रखा है। दो दशक पहले जब गुजरात में भीषण भूकंप आया था, तो जामनगर भी उसकी चपेट में आ गया था, तब पोलैंड, सबसे पहले मदद के लिए पहुंचने वाले देशों में से एक था। यहां पोलैंड में भी लोगों ने जाम साहब और उनके परिवार को भरपूर सम्मान दिया है। ये प्यार, वॉरसो में गुड महाराजा स्क्वैयर में साफ-साफ दिखता है। कुछ देर पहले मुझे भी दोबरे महाराजा मेमोरियल और कोल्हापुर मेमोरियल के दर्शन का सौभाग्य मिला है। इस अविस्मरणीय घड़ी में, मैं एक जानकारी भी आपको देना चाहता हूं। भारत, जामसाहब मेमोरियल यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू करने जा रहा है। इसके तहत भारत, 20 पोलिश युवाओं को हर साल भारत आने के लिए आमंत्रित करेगा। इससे भारत के बारे में पोलैंड के युवाओं को और ज्यादा जानने का मौका मिलेगा।
यहां का कोल्हापुर मेमोरियल भी, कोल्हापुर के महान राजघराने के प्रति पोलैंड की जनता का श्रृद्धाभाव है, एक ट्रिब्यूट है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से, कोल्हापुर की रॉयल फैमिली ने वलिवडे में पोलैंड की महिलाओं और बच्चों को शरण दी थी। वहां भी एक बहुत बड़ा कैंप बनाया गया था। पोलैंड की महिलाओं और बच्चों को कोई तकलीफ ना हो, इसके लिए महाराष्ट्र के लोगों ने दिन रात एक कर दिया था।
आज ही मुझे मोन्टे कसीनो मेमोरियल पर भी श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला है। ये मेमोरियल, हज़ारों भारतीय सैनिकों के बलिदान को भी, उनकी भी याद दिलाता है। ये इस बात का भी प्रमाण है कि कैसे विश्व के हर कोने में भारतीयों ने अपना कर्तव्य निभाया है।
*वारसॉ में 21 अगस्त 2024 को भारतीय समुदाय को भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के अंश।