आजकल नौतपा के कहर और लू की भयावहता से सर्वत्र त्राहि- त्राहि मची है। दरअसल नौतपा साल के सबसे गरम नौ दिनों को कहते हैं जिसका समय 25 मई से शुरू होकर 2 जून तक माना जाता है। इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं जिससे प्रचंड गर्मी पड़ती है। इस भीषण गर्मी के चलते जहां लोग हाय-हाय कर रहे हैं, वहीं हजारों-लाखों लोग गर्मी जनित बीमारियों की चपेट में आकर मौत के मुंह में जा रहे हैं।
लू जिसे हीटवेव भी कहते हैं, उसकी तीव्रता और घातकता में दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ोतरी हो रही है जिससे हर साल दुनिया भर में 1.53 लाख से ज्यादा लोग अनचाहे मौत के मुंह में चले जाते हैं। जहां तक नौतपा का सवाल है, बीते 12 सालों में इस दौरान सबसे ज्यादा औसत तापमान 2018 में 43.8 डिग्री सेल्सियस रहा है। लगता है इस बार यह रिकार्ड भी टूटेगा। इस बार यह जून के दूसरे हफ्ते तक रहने की संभावना व्यक्त की गई है।
असल में धरती का तापमान जिस तेजी से बढ़ रहा है वह समूची दुनिया के लिए ख़तरनाक संकेत है। यह भी कि तापमान में बढ़ोतरी नित नए-नये कीर्तिमान बना रही है। बीते नौ सालों ने तो धरती के सर्वाधिक गर्म होने का रिकार्ड कायम किया है। फिर यह कि साल दर साल तापमान में बढ़ोतरी के रिकार्ड ध्वस्त हो रहे हैं। चिंता इस बात की है कि भविष्य में इस पर अंकुश की कोई उम्मीद नहीं दिखाई देती। कारण तापमान को नियंत्रित करने के सारे प्रयासों का अभी तक नाकाम साबित होना है। दुनिया के शोध और अध्ययन भी इसका खुलासा करते हैं कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के बिना बेतहाशा बढ़ती गर्मी पर अंकुश की फिलहाल उम्मीद ही बेमानी है।
देश का बड़ा हिस्सा आजकल झुलसा देने वाली गर्मी की भीषण चपेट में हैं। इसकी मार से पहाड़ से लेकर मैदान तक सब जल रहे हैं। गर्मी ने सारा जन जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है और लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। गर्मी का आलम यह है कि राजस्थान के जैसलमेर में पारा 55 डिग्री को पार कर गया है। दिल्ली में पारे ने 80 साल और पंजाब में 46 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
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गर्मी का आलम यह है कि रेत में पापड़ सेंके जा रहे हैं, सड़क पर कड़ाही में पूडि़यां सेंकी जा रही हैं और जैसलमेर में रेत में अंडा पक रहा है। कानपुर में ट्राँसफार्मर फुंक रहे हैं। चंडीगढ़ में उन्हें जलने से बचाने के लिए कूलर लगाने पड़ रहे हैं। गोरखपुर में हीटवेव को लेकर अलर्ट जारी किया गया है तो अस्पतालों में हीटस्ट्रोक के मामलों की बाड़ आ गयी है।
देश की राजधानी दिल्ली में तो आज से 79 बरस पहले 17 जून 1945 में अधिकतम तापमान 46.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जबकि इस बार दिल्ली के मुंगेशपुर इलाके में पारा 52.9 डिग्री तक पहुंच गया है। भीषण गर्मी में उतर प्रदेश में अभी तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है। बिहार में 75, झारखंड में 23 और राजस्थान में सात दिनों में कुल 56 लोग मौत के मुंह में चले गये हैं।
मौसम विज्ञान विभाग ने तो भीषण गर्मी की मार झेल रहे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों के लिए रेड अलर्ट जबकि बिहार और मध्य प्रदेश के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञान विभाग ने तो लोगों को गर्मी से बचने और शरीर में पानी की कमी होने से बचने की सलाह दी है। डाक्टर दिन में कम से कम आठ से दस गिलास पानी पीने की सलाह दे रहे हैं।
*लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।