30 जनवरी 1948 अंतिम सांस के साथ “हे राम“ को पुकारने वाले बापू! सनातनता, भारतीयता और प्रकृति के कण-कण में भगवान राम को स्वीकारने वाले महात्मा गांधी की आज शहादत दिवस है। हम सब के बापू जिनके जीवन में राम न केवल सम्मान, भक्ति, श्रद्धा, इष्ट के प्रतीक थे, बल्कि महात्मा गांधी ने आजीवन श्री राम को जिया था। उन्होंने ने राम की तरह सत्य मार्ग पर चलकर राष्ट्र विरोधी, समाज विरोधी और प्रकृति विरोधी तत्वों को हराया था।
बापू ने राम को जिया था। गांधी के जीवन में राम प्रत्यक्ष दर्शनीय थे। वो राम के जीवन को प्रार्थनाओं से लेकर नित्य प्रतिदिन काम करने और जीवन के व्यवहार में जीते थे। राम जैसे अपने राजपाठ को छोड़कर अन्याय-अत्याचार को मिटाने के लिए वनों में गए, ऐसे ही महात्मा गांधी अन्याय-अत्याचार को मिटाने के लिए दलितों – शोषितों के घरों में रहे। जीवन में अनेक सत्याग्रह किए लेकिन दूसरे को डराने का काम नहीं किया। बापू जिस हिंसा से पूरा जीवन मुक्त रहे, उसी हिंसा ने उनके प्राण लिए। उस हिंसा का शिकार होने के बावजूद, वो राम को नहीं भूले और उन्होंने अपनी अंतिम सांस राम नाम के साथ लिया था। जबकि उनकी हत्या करने वाले भी राम के ही भक्त थे। वह भी अपने आप को राम के पुजारी मानते थे, लेकिन बापू के राम सत्य थे।
महात्मा गांधी के राम सबको प्यार करने वाले, सबको समान देखने वाले थे। बापू के राम पूजा पाठ के प्रतीक नहीं थे। वो राम की पूजा नहीं करते थे, लेकिन राम को जीवन में जीते थे। उन्होंने राम को जिया इसलिए वो अपने जीवन के विचार और सिद्धांत के विरुद्ध काम करने वालों को पराजित कर पाए। पराजित करके भारत को आज़ादी दिलाई। भारत की आज़ादी में नर, नारी, गरीब, अमीर सभी का कुछ न कुछ योगदान था। सबके योगदान-सहयोग से भारत को आज़ादी मिली थी।
भारत को आज़ादी दिलाने में बापू ने सबका डर निकाला था। सबको आज़ादी पाने के लिए अनुशासित – प्रशिक्षित किया था। सबके बीच प्रेम का ताना-बाना बनाया था। ऊंच-नीच को समता के रास्ते पर चलाया था।
बापू अपने आप को राम के दर्शन में समेटते हैं। राम और बापू का दर्शन बहुत मेल खाता है। शायद इसीलिए बापू की अंतिम सांस के समय ‘हे राम’ निकला। ‘हे राम’ तो भगवान है, यह अमर, अजर और सत्य है, इसलिए उन्होंने इस दुनिया से जाते वक्त हे राम का स्मरण किया था।
महात्मा गांधी के राम, दशरथ के पुत्र राम, कण-कण में व्याप्त राम, सबके राम हैं। रामचरितमानस में जो दशरथ पुत्र राम के जीवन दर्शन को भगवान मानकर देखते हैं तो लगता है कि बापू भी उन्हीं की चरणधूलि में अपने को चलाते है।
राम त्रेता कल के नायक थे और महात्मा गांधी कलयुग के नायक थे। कलयुग जटिलताओं से भरा हुआ था। त्रेता काल में अलग जटिलताएं थी। महात्मा गांधी उन्हीं भगवान श्री राम के पद चिन्हों पर चलते हैं। राम कण-कण में व्याप्त हैं, जो महात्मा गांधी के प्रेरणा स्रोत हैं।
30 जनवरी , अपने जीवन के अंतिम समय में राम का स्मरण करने वाले महात्मा गांधी को कैसे भुलाया सकता है? राम का भक्त राम को मानता है तो वह महात्मा गांधी को जरूर स्मरण करेगा। क्योंकि महात्मा गांधी के अंदर राम का भगवान के रूप में सम्मान अंतिम सांस, के समय स्मरण करने से ज्ञात होता है। अंतिम समय जो श्री राम को कोई स्मरण कर रहा हो, तो उसके लिए सर्वविदित है कि, वह उसका भगवान ही है। श्री राम महात्मा गांधी के भगवान थे और कण-कण में राम को व्याप्त मानकर और कठोरतम सत्य को भगवान मानकर, अहिंसा के रास्ते पर चलकर, पूरी दुनिया को श्री राम जी का स्मरण करा देते हैं। इसलिए 30 जनवरी राम का स्मरण दिवस है। इसलिए महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर, उनके मुख शरीर से निकलने वाले श्री राम का हम स्मरण करते हैं।
*जलपुरुष के नाम।से विख्यात जल संरक्षक। प्रस्तुत लेखुंके निजी विचार हैं।