मुजफ्फरनगर: भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के आह्वान पर गन्ना मूल्य वृद्धि को लेकर 17 दिनों से हड़ताल पर बैठे किसानों ने आज गन्ना मूल्य वृद्धि की घोषणा के बाद अपना आंदोलन समाप्त कर दिया पर साथ ही सरकार द्वारा गन्ना मूल्य वृद्धि को नाकाफी बताया।
धरने पर आज अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने पहुंचकर आंदोलन को समाप्त करने का आग्रह किया जिस पर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के जिलाध्यक्ष अंकित चौधरी ने कहा कि यह आंदोलन हमारा गन्ना मूल्य वृद्धि पर था लेकिन वे संतुष्ट नहीं है। अगर स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो 10 फरवरी, 2024, से वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
यूनियन के अनुसार 20 रुपए की वृद्धि किसानों के साथ मजाक है। उसके वक्ताओं ने कहा कि किसान कम से कम 400 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य चाहता था। सरकार ने जो दिया है वह ठीक है लेकिन लाभकारी मूल्य की लड़ाई जारी रहेगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिलाधिकारी के मार्फ़त दिए एक ज्ञापन में चौधरी ने कहा सरकार अपने गन्ना मूल्य वृद्धि के फैसले पर पुनर्विचार कर किसानों को कम से कम 400 रुपए प्रति क्विंटल दे। ज्ञापन के अनुसार इस बार प्राकृतिक आपदा एवं बीमारी के चलते गन्ना का उत्पादन कम होने के कारण शुगर मिलों एवं कोल्हू/ क्रेशर में प्राइसवार छिड़ी हुई है। क्रेशर में 400 कुंतल तक गन्ना खरीदा जा रहा है। पंजाब में गन्ने का मूल्य 391 रुपए प्रति क्विंटल एवं हरियाणा में गन्ने का मूल्य 385 रुपए घोषित किया जा चुका है। पिछले वर्ष वर्तमान मूल्य पर चीनी की कीमत 32 रू किलोग्राम,शीरे की कीमत 300 रु क्विंटल, बैगास 150 रू क्विंटल थी। इस वर्ष चीनी की कीमत 42 रु क्विंटल, शीरे की कीमत 1300 रू क्विंटल,बैगास 300 रू क्विंटल है। एथनॉल के दाम भी लगभग 7 रु लीटर बढ़े है। “गन्ने से बनने वाले सभी उत्पाद में लगभग 25% कम से कम वृद्धि हुई है। किसानों की उत्पादन लागत में वृद्धि एवं उत्पादन में कमी आई है,” चौधरी ने कहा।
“सरकार ने जो दिया उसके लिए धन्यवाद, पर गन्ना मूल्य वृद्धि किसानों की भावनाओं के अनुरूप नहीं है और सरकार इस पर पुनर्विचार करे,” भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा।
उत्तर प्रदेश में 28.5 लाख हैक्टेयर भूमि में गन्ने की खेती की जाती है जिसमें पिछले सत्र में लगभग 24 करोड़ कुंतल गन्ना चीनी मिलों को आपूर्ति किया गया है । यूनियन के अनुसार यदि 2022- 23 के सत्र में उत्तर प्रदेश में पंजाब के बराबर भाव मिलता तो किसानों को 720 करोड़ रूपए ज्यादा मिलते। यदि हरियाणा के बराबर भाव मिलता तो 528 करोड़ रूपए ज्यादा मिलते। यदि पिछले दो सत्रों की बात की जाए तो हरियाणा के किसानों के बराबर गन्ना मूल्य उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलता तो 816 करोड़ रूपए ज्यादा मिलते।यदि पंजाब के आधार पर देखा जाए तो पिछले दो सत्रों में उत्तर प्रदेश के किसानों को 960 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
मलिक ने कहा कि सरकार ने गन्ना मूल्य वृद्धि का जो निर्णय किया है वह किसान हित में नहीं है। दूसरे राज्यों में गन्ना मूल्य अधिक है। “सोई सरकार को किसानों ने जगाने का कार्य किया है। हम सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध आंदोलन करेंगे,” उन्होंने कहा बताया कि उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य सबसे कम है जिससे मिलों को मुनाफा होगा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो