– प्रशांत सिन्हा
भारत की अर्थव्यवस्था को तीन फेज़ में बांटा जा सकता है। पहले फेज़ में है स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नेहरू द्वारा दिखाया समाजवाद का रास्ता। सरकारी संरक्षण में कंपनियों को चलाया जा रहा था। दूसरा 1991 में पी वी नरसिम्हा राव द्वारा शुरु की गई उदारीकरण की नीति जिससे भारतीय समाज में कई आधारभूत और गंभीर परिर्वतन की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। उसी वक्त विश्व औद्योगिक अर्थव्यवस्था से सूचना अर्थव्यवस्था में तब्दील हो गया जो भारत के लाभ की दास्तान कहता है। इसका पहला प्रमाण है सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत की अपूर्व सफलता। हम इसे सूचना काल भी कहते हैं। यह हमारे लिए बहुत ही लाभदायक रहा। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने इंजन का काम किया जिसने भारत के उड़ान को संचालित किया और देश परिवर्तित हुआ। अब बारी है तीसरे फेज की जिसकी शुरुआत हो चुकी है। यह फेज है स्टार्ट अप की। यह फेज दूसरे फेज से बहुत बड़ा होगा। इस फेज में देश के युवाओं को नई ऊंचाई को छूने का अवसर मिलेगा।
आज भारत में कई हजार स्टार्ट अप कंपनियां अपने व्यापार बढ़ाने में लगी हुई हैं जिनमें लगभग 83 यूनिकॉर्न कंपनियां हैं। यूनिकॉर्न कम्पनी एक अरब डॉलर से ज्यादा वैल्यूएशन वाली होती है। अब भारत, अमेरिका और चीन के बाद विश्व में तीसरे स्थान पर है। वाइजु, ग्लोबल बीज, एको इंश्योरेंस , क्रेड, ओला, भारत पे, मामा अर्थ, अपग्रेड, एमपीएल, जोमेटो, बोट इत्यादि भारत के बड़े स्टार्ट अप है जिन्होंने सफलता की नई इबारत लिखा है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जो कंपनियां आ रही हैं ऐसा नहीं है कि इन कंपनियों के प्रमोटर आईआईटी या आईआईएम जैसे संस्था के पढ़े हैं।
स्टार्ट अप इंडिया एक बहुत ही आवश्यक पहल है जो 2015 में सरकार द्वारा शुरु किया गया था। हम सभी जानते हैं कि भारत प्रतिभाशाली लोगों से भरा हुआ देश है। हमारे युवाओं के पास अपने सपने को पुरा करने के लिए अवसर है। यह अभियान युवाओं को उनके लक्ष्यों को पुरा करने के लिए अच्छी शुरुआत है। यह उन्हें संसाधन देगा जो उन्हें उद्योगपति या उद्यमी बनने का अवसर देगा। बैंक इन युवाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करेगें। लोगों को रोजगार मिलेगा जिससे बेरोजगारी की समस्या समाप्त होने की उम्मीद है।
यह विरोधाभास रहा है कि इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में अनुमान के मुताबिक अर्थव्यवस्था का विकास नहीं हुआ। इस विरोधाभास का कारण हमारा कमजोर बुनियादी ढांचा था। लेकिन बीते कुछ वर्षों से इस पर बहुत काम हुआ। राजमार्ग तेजी से बन रहे हैं । रेलवे का कायाकल्प हो रहा है। नगर विमान सेवाओं का विस्तार हो रहा है। चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध है। हवाई अड्डे दुनिया के बेहतरीन हवाई अड्डों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इन सबके बावजूद अभी भी कुछ चुनौतियां हैं। अगर उनमें सुधार लाते हैं तो अमेरिका का सूर्यास्त और भारत का सूर्योदय एक साथ होगा।
स्टार्ट अप कंपनियां सूर्योदय का रास्ता बना रही हैं। विश्व अर्थव्यवस्था में जिस प्रकार भारतीय स्टार्ट अप कंपनियां बढ़ रही है उससे तो विश्व के देशों में हलचल है। 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत जिस प्रकार सनसनीखेज रूप में उभरा था उसी प्रकार आने वाले वर्षों में स्टार्ट अप कंपनियों के साथ जबर्दस्त रूप से उभरेगा। पिछले पचहत्तर वर्षों से चली आ रही नौकर शाही शासन की गति जिस प्रकार आर्थिक सुधार के कारण धीमी हुई थी उसी प्रकार स्टार्ट अप कंपनियों के कारण सरकारी नौकरियों के तरफ लोगों की रुझान में बहुत कमी आयेगी। इससे भारत मे आर्थिक और सामाजिक बदलाव होगा।