घोषित समर्थन मूल्य महँगाई को भी कवर नही करता – भारतीय किसान यूनियन
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने कृषि उपज की सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को स्वीकृति दे दी है।
सरकार ने किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की है। बीते साल की तुलना में सबसे ज्यादा तिल यानी सेसामम (452 रुपये प्रति क्विंटल) और उसके बाद तुअर व उड़द (300 रुपये प्रति क्विंटल) के एमएसपी में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई। मूंगफली और नाइजरसीड के मामले में, बीते साल की तुलना में क्रमशः 275 रुपये और 235 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। मूल्यों में इस अंतर का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना है।
इस बीच भारतीय किसान यूनियन ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य A2+FL नही,C2+50 पर तय करे। यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक ज्ञापन जारी कर कहा कि सरकार द्वारा आज घोषित समर्थन मूल्य महँगाई को भी कवर नही करता। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आज घोषित फसलों का समर्थन मूल्य में कुछ फसलों जैसे मक्का जैसी फसल में केवल 20 रुपए की वृद्धि की गई है जो समर्थन मूल्य का “सबसे बड़ा मजाक है”। उन्होंने कहा कि जिन फसलों में ज्यादा वृद्धि की गई है वह भी महँगाई को कवर नही करती है। जैसे दालों की अगर बात करे तो जब किसान को समर्थन मूल्य मिलता ही नही तो घोषित करने से क्या मतलब निकलता है।किसानों की फसलों की मंडी में लूट होती है।
“देश के किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाया जाय।इसी के लिये किसान सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। हाल में लाये गई तीनो कृषि कानूनों को रद्द कर किसानों को आंदोलन को समाप्त कर किसानों की उन्नति हेतु कार्य करे,” उन्होंने कहा।
कृषि उपज की सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है :
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो