संस्मरण
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
स्लोवाकिया में सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन के काम बहुत छोटे स्तर पर हुए हैं
स्लोवाकिया में पहली बार मुझे मेरे साथी मिखाल कोरबिक ने बुलाया था। इन्होंने अपना पूरा देश दिखाया। चेकोस्लोवाकिया से अलग होने के बाद इस गणराज्य का निर्माण हुआ था। स्लोवाकिया चारों तरफ से जमीन से घिरा हुआ है। इसके उत्तर में पोलैंड है, दक्षिण में हंगरी, पूर्व में यूक्रेन और पश्चिम में चेकगणराज्य एवं ऑस्ट्रिया। इस देश का क्षेत्रफल 49035 वर्ग किलोमीटर है और 2008 के अनुसार जनसंख्या 5412254 है। यहाँ की मुख्य नदी डैन्यूब है जो राजधानी ब्रातिस्लावा से गुजरती है और हंगरी के साथ स्लोवाकिया की सीमा करती है। देश का लगभग 30 प्रतिशत इलाका पहाड़ी है। जलवायु समशीतोष्ण के बीच स्थित होती है। मौसम पहाड़ी उत्तर से दक्षिण में मैदानी इलाकों में भिन्न होता है।
इस देश में भी तरूण भारत संघ की तरह के सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन के काम बहुत छोटे स्तर पर हुए हैं । इस देश में छोटे-छोटे चेकडेम ताल-पाल बनाने की शुरूआत मिखाल ने की थी। लेकिन इस देश की सरकारें बहुत जल्दी-जल्दी बदलती रहती है, इस कारण से मिखाल का काम रूक गया। क्योंकि मिखाल सरकार में एक प्रभावी इंजीनियर और वैज्ञानिक था। जब तक वह सरकार रही तब तक उसमें पूर्ण मदद मिलती रही। सत्ता परिवर्तन के खेल में यह पानी का काम भी रूक गया। इस काम का अनुभव छोटा था लेकिन हरी गर्मी, लाल गर्मी को खत्म करने में, समुद्र के जल से बनने वाली नीली गर्मी, हरी गर्मी के साथ मिलकर वर्षा करते हैं । तरूण भारत संघ के इस सिद्धांत को मिखाल बहुत अच्छे से स्वीकारते हैं । यह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने मेरे साथ कई दिन लम्बी बातचीत करके, जल से जलवायु और जलवायु ही जल बनाती है, इस बात को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया था। बाद में इस विचार को दुनिया के स्तर पर 2012 के बाद बहुत मदद की थी। मिखाल एक प्राकृतिक वैज्ञानिक हैं , जिसके मन में पानी और पर्यावरण का मानवता से भी अधिक सम्मान है। इसलिए इनके साथ वैचारिक परिपक्वता बनाने में गहरा योगदान रहा है।
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स्लोवाकिया जलवायु परिवर्तन शरणार्थियों का आश्रय स्थल तो नहीं है, इस देश की अपनी उथल-पुथल के कारण यहाँ काफी अशांति है। इसलिए यहाँ विदेशों से अधिक लोग नहीं आते। यूँ तो अस्थाई-तौर पर पलायन, लोगों का आना-जाना तो सामान्य रूप से इस देश में बहुत है। लेकिन दुनिया के स्तर पर इस देश की आवाज सदैव दबी हुई रहती है।
पुरातात्विक अवशेषों के अध्ययन से यह पता लगा है कि 1000 ईसा पूर्व से पहले स्लोवाकिया में बंजारे रहते थे जो एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते थे। तत्पश्चात् इलीरियन और सेल्ट जाति के लोग यहाँ स्थायी रूप से बसे। सन् 833 में स्लोवाकिया के क्षेत्र पर मोरावियाई साम्राज्य ने कब्जा कर लिया था। चौदहवीं और सोलहवीं शताब्दी में हंगेरियाई साम्राज्य के विरूद्ध विद्रोह हुए। इसके बाद तुर्कियों ने हंगरी पर कब्जा कर लिया, परंतु 1686 में हंगेरियन साम्राज्य ने उन्हें हरा दिया और स्लोवाकिया पर फिर हंगेरियन साम्राज्य का प्रभुत्व था। इसके बाद कई युद्धों का सामना इस देश को करना पड़ा। सन् 1989 में द वेलवेट क्रांति चेकोस्लोवाकिया में कम्युनिस्ट शासन को शांति से समाप्त कर दिया। 1 जनवरी 1993 को शांतिपूर्ण होने के बाद स्लोवाकिया एक राष्ट्र बन गया। अब यह संसदीय गणतंत्र है। इसके राष्ट्रीय परिषद् में 150 सदस्य होते है। यहाँ शरणाथियों का आना-जाना बना ही रहता है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।