तहकीकात
– श्वेता रश्मि*
मामला कथित तौर पर कागज़ों पर 2002 में कागज़ों पर बने महादेव महाविद्यालय, बरियासनपुर गांव के संबद्धता का है। ऐसा महाविद्यालय जो बना पर सिर्फ कागज़ों पर उसके पास जमीन ही नहीं । ये हैरान कर देने वाला मामला दिल्ली की संस्था बोधिसत्व फाउंडेशन, जो शिक्षा और पर्यावरण के मुद्दों की हितैषी और समाज में एक समान अवसर सबके लिए उपलब्ध करवाने के लिए खुद को कटिबद्ध बताती है, की पड़ताल के बाद सामने आया है जहाँ उसका दावा है कि उसने पाया कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ इस तरह के फर्ज़ीवाड़े को संरक्षित कर रही है । फाउंडेशन ने आरोप लगाया है कि विद्यापीठ के उच्च शिक्षा अधिकारी इसमें संलग्न हैं। संस्था का आरोप है कि शिक्षा बड़ा पवित्र पेशा है और इसमें घालमेल की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए पर विद्यापीठ और महादेव महाविद्यालय, बरियासनपुर जिस तरह से नियमों और कानून को ताक पर रखकर फर्ज़ीवाड़ा कर रहे है वो बिना भ्रष्टाचार के संभव नहीं है। उसने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें नीचे प्रशासन से लेकर अधिकारियों तक और लखनऊ की संगलिप्ता है, तभी कोई कार्रवाई और उपाय नहीं किये गये। फाउंडेशन का दावा है कि उसके पास उपलब्ध कागज़ और साक्ष्य के द्वारा इस बात की पुष्टि होती है।
See: Attachment -1 Letter sent by DM Varanasi on 13 August based on tehsil report.
कॉलेज शुरू हुआ 2002 में लेकिन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास से शिकायत के बाद जब महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से कागज़ मांगा गया तो विद्यापीठ ने 2005 की नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की कॉपी उपलब्ध करवा दी। फॉउंडेशन के अनुसार अब सारा पेंच यही है 2005 में महादेव महाविद्यालय के नाम खतौनी में दर्ज है पर उसी खतौनी में 2006 में अलग -अलग व्यक्तियों के नाम दर्ज है जो ये बताता है कि विद्यापीठ में दाखिल जो कागज़ महादेव की तरफ से जमा किया गया है वो फ़र्ज़ी है उसको गलत मंशा से बनाया गया है।
बोधिसत्व फाउंडेशन ने यह भी आरोप लगाया है कि विद्यापीठ के अधिकारी इस मामले की फ़ाइल दबाये बैठे है और वो स्थानीय प्रशासन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी भुलावे में रखते हुये गलतबयानी करते है। जब मजिस्ट्रेट द्वारा जब पूछा जा रहा है कि बिना जमीन के महादेव महाविद्यालय की मान्यता कैसे हुई तभी 2019 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ महादेव महाविद्यालय को 2019 में 4 साल के इंटरनेशनल इंग्लिश प्रोफिसिएंसी टेस्ट के कोर्स शुरू करने के लिए एनोसी देता है। साथ ही नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन की मान्यता भी महादेव महाविद्यालय बरियासनपुर गांव ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के साथ मिलकर खतौनी और चेंज इन लैंड यूज़ आर्डर द्वारा गलत ढंग से हासिल की। फाउंडेशन ने इस बाबत कानूनी प्रक्रिया के तहत उसपर भी शिकायत की है।
राजस्व विभाग और विद्यापीठ जैसी विश्वसनीय संस्था आखिर क्या चंद पैसों में किसी की भी जेब में समा सकती है? फाउंडेशन ने इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय, मिनिस्ट्री ऑफ एडुकेशन, नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन, राज्यपाल, और मुख्यमंत्री के साथ राजस्व विभाग में भी शिकायत की है।विद्यापीठ के अधिकारियों से इस बारे में संपर्क नहीं हो सका ।
*श्वेता रश्मि दिल्ली स्थित पत्रकार हैं ।