कविता
– रमेश चंद शर्मा
बदलेंगे युग की धारा
छोटे छोटे कदमों से बनेगा संसार हमारा,
सत्य अहिंसा परम धर्म है, सद्भावना है नारा,
पड़ौसी से अमन रहेगा, खुले विकास का द्वारा
बदलेंगे युग की धारा, प्रेम आधार हमारा
व्यक्ति, समाज, राष्ट्र से आगे, बनेगी नई धारा
जग मिलकर गाएगा, वसुधैव कुटुंबकम् प्यारा
भय, भेद, भूख, हिंसा, नशा नहीं है मार्ग हमारा
बदलेंगे युग की धारा, प्रेम आधार हमारा
सत्य वदें हम, झूठ तजें हम, आगे बढ़ते जाएं
प्रेम, सहयोग, सहकार, करुणा का मार्ग लाएं
इंसान में इंसानियत झलके, यह है प्रण हमारा
बदलेंगे युग की धारा, प्रेम आधार हमारा
कदम से कदम मिलाकर, आगे बढ़ते जाएं
अमन दोस्ती एकता का संदेश जग में फैलाएं
इसी से बनकर निकलेगी, मानवता की धारा
बदलेंगे युग की धारा, प्रेम आधार हमारा
सबको गले लगाते हुए, प्रेम संकल्प अपनाएं
खुद खाने से पहले, जरुरतमंद को खिलाएं
इसी से विकसित होगी, सच्चे जीवन की धारा
बदलेंगे युग की धारा, प्रेम आधार हमारा
बूंद-बूंद मिलकर बनती है, जल की सुंदर धारा
पेड़ संरक्षण, पौधारोपण, हरित क्षेत्र लगे प्यारा
पर्यावरण सुरक्षा, प्रकृति समन्वय धर्म हमारा
बदलेंगे युग की धारा, प्रेम आधार हमारा