नयी दिल्ली: आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच आज हुई 11वें दौर की बैठक भी बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गयी। ना मोर्चा के नेता झुकने को तैयार हुए ना ही सरकार विवादित कृषि कानूनों को वापिस लेने को राज़ी हुई। अब सरकार ने आगे की कोई तारीख नहीं तय की है और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कानून में कोई कमी नही है। “हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था। आप निर्णय नही कर सके।आप अगर किसी निर्णय पर पहुँचते है तो सूचित करें। इस पर फिर हम चर्चा करेंगे,” उन्होंने कहा।
आज की बैठक में सरकार की तरफ से फिर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने भाग लिया। तोमर ने कहा कि पिछली बैठक में काफी देर तक चर्चा करने के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के समक्ष एक ठोस प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें सरकार ने सुधार कानूनों के क्रियान्वयन को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने की बात कही थी और इस दौरान किसान संगठनों और सरकार के प्रतिनिधि किसान आंदोलन के मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श करके उचित समाधान पर पहुंच सकते हैं। इस पर संगठनों ने दिनांक 21.01.2021 को अपनी आंतरिक बैठक में विचार-विमर्श करके 22.01.2021 को सरकार के साथ बैठक के दौरान अपना मत अवगत कराने की बात कही थी। “इसी संदर्भ में आज दिनांक 22.01.2021 को बैठक में सरकार ने किसान संगठनों से उनके लिए गए निर्णय से अवगत कराने का आग्रह किया। सरकार ने किसान संगठनों को आंदोलन समाप्त करने हेतु समाधान की दृष्टि से श्रेष्ठतम प्रस्ताव दिया है,” उन्होंने कहा।
तोमर ने कहा कि सरकार लगभग दो महीने से देशभर के किसानों के व्यापक हित में, यूनियनों के सम्मान में और आंदोलन के मान में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ निरंतर बातचीत कर रही है तथा सरकार ने इस बीच में किसान संगठनों को एक के बाद एक “कई अच्छे प्रस्ताव दिए तथा किसानों के प्रति संवेदनशीलता व्यक्त की”।
“सरकार की तरफ से लगातार आंदोलनकारी किसान संगठनों से बातचीत का क्रम जारी रखा गया और बार-बार यह अनुरोध किया गया कि सरकार खुले मन से उनके द्वारा उठाये जाने वाले सभी मुद्दों पर संवेदनशीलता से तथा व्यापकता से विचार करने को तैयार रही है। सरकार द्वारा प्रस्ताव दिये गये, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि कृषि सुधार कानूनों में कोई खराबी थी, फिर भी आंदोलन तथा आंदोलनकर्ता किसानों का सम्मान रखने के लिए और उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए ये प्रस्ताव दिए गए,” उन्होंने कहा।
किसानों के साथ हुए बैठकों का ब्यौरा देते हुए सरकार ने कहा कि 3 दिसम्बर, 2020 को हुई बैठक में आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाये गये मौखिक तथा लिखित बिंदुओं को चिन्हित किया गया था तथा 5 दिसम्बर की बैठक में वार्ता कर प्रस्ताव के संबंध में उनसे चर्चा की गयी थी। पुन: 8 दिसम्बर, 2020 को गृहमंत्री द्वारा भी किसान यूनियन के प्रमुख नेताओं के साथ चर्चा की गयी और उन्हें 5 दिसम्बर को चर्चा में आये प्रस्तावों पर विचार करने के लिए निवेदन किया गया।
सरकार में अनुसार सभी चिन्हित मुद्दों पर सरकार द्वारा समाधानकारक संशोधनों का लिखित प्रस्ताव 9 दिसम्बर को किसान संगठनों को दिया गया, जिसमें सौहार्द्रपूर्ण तरीके से विचारोपरान्त आगे बढ़ते हुए कृषि कानूनों में संशोधन तथा अन्य मुद्दों का समाधान सम्मिलित था। “इस प्रस्ताव को बिना बिंदुवार चर्चा किए और बिना कोई कारण दर्शाए आंदोलनकारी किसानों संगठनों द्वारा खारिज कर दिया गया,” सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी कर आज कहा। विज्ञप्ति में कहा गया कि सरकार द्वारा सभी दौर की बैठकों में संगठनों को सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा गया परन्तु संगठन कानूनों को रिपील करने की जिद पर अड़े रहे। यह भी प्रस्ताव दिया गया कि रिपील के अलावा यदि कोई भी अन्य विकल्प संगठनों द्वारा दिया जाता है तो उस पर सरकार खुले मन से विचार करने के लिए तैयार है। छोटे समूह में अनौपचारिक वार्ता का भी प्रस्ताव दिया गया जिससे विकल्पों पर बिना बंधन के विचार किया जा सके लेकिन इसको भी नहीं माना गया।
पिछले दौर की वार्ता 10वीं पातशाही श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन हुई थी। “इस पावन दिवस के उपलक्ष्य में सरकार द्वारा बहुत ही खुले मन से प्रस्ताव दिया गया कि सरकार कानूनों को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित करने पर विचार कर सकती है और कानूनों के समस्त पहलुओं पर विचार के लिए कमेटी का गठन कर सकती है और सहमति के आधार पर माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष एफिडेविट भी इस संबंध में दिया जा सकता है,” सरकार ने कहा और आरोप लगाया कि इस पूरे दौर में आंदोलनकर्ता किसान संगठनों द्वारा वार्ता के मुख्य सिद्धान्त का पालन नहीं किया गया क्योंकि हर बार उनके द्वारा नए चरण का आन्दोलन घोषित होता रहा जबकि वार्ता के दौरान नए आंदोलन की घोषणा सौहार्द्रपूर्ण चर्चा को प्रभावित करती है। इस बात का उल्लेख भी सरकार द्वारा आज की बैठक में किया गया।
कृषि मंत्री ने आज बैठक के आखिरी सत्र में सभी आंदोलनकर्ता किसान संगठनों के समक्ष अपनी बात रखी और उन्हें पुन: विचार करने का आह्वान किया। यह भी उन्हें प्रस्ताव दिया है कि यदि उनके द्वारा सहमति दी जाती है तो वह बताएं, वे कल इस समझौते पर आगे बढ़ सकते हैं। सरकार ने किसान संगठनों को आंदोलन समाप्त करने हेतु समाधान की दृष्टि से श्रेष्ठतम प्रस्ताव दिया है।
सरकार ने समस्त आंदोलनकर्ता किसान संगठनों के नेताओं को शान्तिपूर्ण आंदोलन संचालित करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और यह आशा भी व्यक्त की कि वे आगे भी इसी प्रकार शांति बनाए रखेंगे। मंत्री जी ने आभार प्रकट करते हुए वार्ता समाप्ति की घोषणा की।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो