– राजेन्द्र सिंह*
अहमदाबाद: आज दिनांक 03 अक्टूबर 2021 को ‘विरासत स्वराज यात्रा’ साबरमती आश्रम से शुरु हुई। इसके बाद पर्यावरण सफाई संस्थान, अहमदाबाद का भ्रमण किया। इसके उपरांत हृदय कुंज में वहाँ के मंत्री अमृत मोदी और वहाँ के साथियों से मिलकर विरासत स्वराज यात्रा के बारे में जानकारी दी और गहन संवाद किया।
विरासत स्वराज यात्रा की जरुरत क्यों है? यह यात्रा आज की जरुरत के साथ गांधी का एहसास और जोड़ने का काम करेगी। हम सभी के धर्मो को जोड़ने वाली सूफी परम्परा और समाज को जोड़ने वाली मीरा बाई है। मीरा बाई गांधी के काम व सूफी परम्परा की महान विरासत है। वो निर्भय होकर, आजादी से अपने भगवान को सम्मान से स्वीकारती थी। बिना किसी से डरे उन्होंने भगवान को स्वीकार किया था।
यात्रा की संयोजक आशा बोथरा ने कहा कि भारत के जीवन को बनाने वाली विरासत – जल, जंगल, जमीन, भारत को प्रेरित करने वाली विरासत गांधी, मीरा, विनोबा, अंबेडकर ,सरदार पटेल, इन सब को समझकर ऊर्जा लेने की जरूरत है।
भारत भूमि से आरंभ हुई सूफी परम्परा पूरी दुनिया में कहीं और नहीं थी। यह पहले भारत में जन्मीं फिर पूरी दुनिया में फैली है। आज करोड़ों लोग इसको मानने वाले है, जो आज भी इसका पालन कर रहे है। इसलिए हम यदि आपसी झगड़े का निपटारा करना चाहते है, तो वो विखंडित होकर नहीं हो सकता। हम सब एक है, जब एक मानकर काम करते है, तब हम राज्यों में नहीं बटते, धर्म में नहीं बटते, राजनीति में नहीं बटते, उन्हें तो हमें अपने मनो योग से जोड़कर देखना होगा। इसी तरह से हम गुजराती, कश्मीरी, राजस्थानी कहकर एक नही हो सकते, हम तो जय जगत को मानने वाले लोग है। ‘जल जगत’ हमारी विरासत है। जब हम जय जगत को मानते है, तो सारा जग का कल्याण हो, सुधार हो, उस रास्ते पर हमें आगे बढ़ने की जरुरत है।
गांधी और विनोबा से हमने यही सीखा है। विनोबा जी का नारा था ‘जय जगत’ जय जगत मतलब पूरी जगत का शुभ हो। विनोबा जी बापू के विचार को आगे बढ़ाने वाले संत थे। विनोबा, जे.पी., गांधी जी यह हमारी विरासत है, जो हमें प्रभावित व प्रवाहित करती है। यह हमें अच्छे काम करने के लिए तीव्रता और तुरा पैदा करती है।
साबरमती आश्रम, हृदयकुंज में जाकर संकल्प लिया कि, हम विरासत स्वराज यात्रा को वर्ष भर जारी रखेंगे। इसमें सभी जगह से लोग जुड़कर, अनुकूल वातावरण निर्माण करने का काम करेंगे। भारत के 90 भू-संस्कृतिक क्षेत्र है, पहले यह यात्रा सभी जोन में सामाजिक कार्यकर्ता और आमजन मिलकर करेंगे। इसके बाद यह यात्रा को पूरे राष्ट्र में जोड़ देगें। इसी प्रकार दुनिया के दूसरे देशों में भी यह वैश्विक विरासत स्वराज यात्रा होगी। अभी इसका नाम केवल विरासत स्वराज यात्रा है, क्योंकि अभी यह भारत के कुछ क्षेत्रों में आरंभ हुई है, फिर यह पूरी दुनिया में चलेगी।
इस यात्रा का कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है। इसकी कोई समय सारणी नहीं है, क्योंकि इस यात्रा को सृजनात्मक यात्रा के रुप में चलायेंगे। जहाँ जितना समय देना उचित होगा, वहां लोगों के अनुकूल और स्थानीय लोगों का सम्मान करते हुए यात्रा करेंगे।
तीसरे चरण में यात्रा भावनगर के सीहोर कस्बे में पहुंची। यहां मुकेश पंडित, जगदीश चावड़ा, देवेंद्र तिवारी, हरीश पवार, पल्लवी ने यात्रा का स्वागत किया और भारत सरकार के स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की प्रदर्शनी को दिखाकर सभा आयोजित हुई।
हम सभी को मिलकर भारत को विरासत को बचाने में जुटना है। हम अपनी विरासत को समझे और जाने।
* लेखक जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।