तहकीकात
– सुजीत कुमार झा*
यूपी-रेरा के वसूली बिल्डर का अनुपालन ना होने से ‘अंतरिक्ष संस्कृति’ के वंचित घर आवंटी न्यायपालिका के दरवाजे खटखटाने को मजबूर
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) अधिनियम 2016 के लागू होने के बाद भी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) और तहसीलदार कार्यालयों द्वारा वसूली प्रमाण पत्रों को उनके तार्किक निष्कर्ष (अनुपालन) तक ले जाने के लिए कोई कदम नहीं उठाने का आरोप है। गौरतलब है की एनएच-24 पर विगत एक दशक से भी अधिक विलंबित ‘अंतरिक्ष संस्कृति परियोजना’ में खरीदारों को यूपी रेरा द्वारा जारी पचास से अधिक वसूली प्रमाण पत्र बिना किसी कार्रवाई के वर्षों से डीएम-तहसीलदार कार्यालयों में धूल फांक रहे हैं। ये खरीदार खुद को ठगा और छला महसूस कर रहे हैं और न्याय के लिए भटक रहे हैं।
यूपी-रेरा द्वारा जारी वसूली बिल्डर का अनुपालन ना होने से ‘अंतरिक्ष संस्कृति’ के एक दर्जन से कहीं अधिक हताश -निराश वंचित घर आवंटी थक हारकर न्यायपालिका के दरवाजे खटखटाने के लिए मजबूर हो चुके हैं। उनकी गुहार पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय संबंधित वसूली प्रमाणपत्र (आरसी) राशि की वसूली सुनिश्चित करने के लिए डीएम गाज़ियाबाद को कई माह पूर्व आदेश जारी कर चुका है। पर इस सबसे कुछ फर्क नहीं पड़ा है। अलबत्ता आरसी की रकम औसत: 50 लाख से अधिक होने के बावज़ूद ज़िला प्रशासन ने बिल्डर द्वारा प्रति खरीददार 2-4 लाख की रेवड़ियां बँटवा कर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री समझ ली है।
शोषित-सताए हुए घर खरीददार अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आदेशों को लागू करने में विफलता के लिए जिला प्रशासन को अदालत की अवमानना के लिए नोटिस जारी करने की याचिका डालने पर मज़बूर हैं। देखना है कि गाज़ियाबाद डीएम कार्यालय न्यायिक अवमानना के नोटिस मिलने पर भी कार्यवाही करता है कि नहीं।
यह हैरानी की बात है कि अंतरिक्ष संस्कृति मामले में यूपीरेरा के अनगिनत आदेशों का पालन करने में विफल रहने के बावजूद जिला प्रशासन ने अंतरिक्ष रियलटेक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की है? पीड़ित लोग की मानें तो अचल संपत्ति घोटालों की बढ़ती संख्या की पृष्ठभूमि में, डीएम और तहसीलदार कार्यालयों द्वारा जिले में अचल संपत्ति क्षेत्र में कदाचार की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया गए हैं । वे नागरिकों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने यूपी रेरा द्वारा जारी आरसी के निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है।
गाज़ियाबाद तहसीलदार कार्यालय जनसुनवाई पोर्टल पर घर खरीदारों की शिकायतों को यह कहते हुए निस्तारित कर रहा है कि आरसी का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं, जबकि तथ्य यह है कि इन तथाकथित प्रयासों का वर्षों से कोई परिणाम नहीं निकला है। पीड़ितों का कहना है कि इसलिए, उत्तर प्रदेश सरकार के शीर्ष अधिकारियों को बिना किसी वास्तविक राहत के शिकायतों के इस असंतोषजनक निष्पादन को मंजूरी नहीं देनी चाहिए।
घर खरीददारों के साथ हो रहे इस गम्भीर मज़ाक में यूपी रेरा का भी योगदान कम नहीं है. यूपी-रेरा, उसके आदेश पढ़कर बेफिक्र होकर सो जाने वाले बिल्डरों के हलकों में मजाक का विषय बन गई है। जब आरसी निष्पादित नहीं होते हैं, तो रेरा केवल कुछ मामूली राशि का जुर्माना लगाती है लेकिन यह राशि भी अप्राप्त रहती है। कुछ मामलों में अगर यह साकार होती है, तो यह रेरा के खजाने में चली जाती है।
पीड़ितों का कहना है कि लचर एवं अप्रभावी कदम उठाने के बजाय, यूपी-रेरा दोषी बिल्डरों की गिरफ्तारी और उनके विभिन्न कंपनी निदेशकों और परिवार के सदस्यों की सभी चल और अचल संपत्तियों को जब्त करने की और उनकी इ-ऑक्शन करने की सिफारिश क्यों नहीं कर रही है? यूपी-रेरा ऐसे बिल्डरों को भविष्य की रियल एस्टेट परियोजनाओं को लेने से तब तक क्यों नहीं रोक सकती जब तक कि वे पीड़ित खरीदारों को जारी आरसी के सम्मान के मामले में अपना बकाया नहीं चुकाते? अचल संपत्ति की गतिविधियों में शामिल काले धन को देखते हुए, दोषियों के बिल्डरों के व्यापार लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए।
“यूपी-रेरा को आरसी का पालन न करने के लिए जिला कलेक्टरों को दोष देना बंद कर देना चाहिए क्योंकि वह भी दोषी बिल्डरों के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने में विफल रहती है,” एक पीड़ित ने कहा।
केस स्टडीज: अंतरिक्ष संस्कृति खरीददार
सर पर छत के लिए जिंदगी भर की कमाई लगायी, 10 साल बाद भी आशियाना नसीब नहीं, मिले वसूली पत्र पर वे भी प्रशासनिक संवेदनहीनता की बलि चढ़ गए, अब घर के लिए क़र्ज़ के चलते आर्थिक बदहाली में हर दिन जैसे-तैसे जीवन बचाने की जद्दो-जहद
नाम: अशोक झा
फ्लैट बुकिंग का वर्ष: अक्टूबर 2011
जमा राशि: 32 लाख
वादा किए गए कब्जे का वर्ष: 2014
रेरा शिकायत संख्या – एनसीआर 145/08/59368/2020
आरसी जारी करने की तिथि: 17.03.2021
डीएम गाजियाबाद को आरसी अनुपालन की अर्जी: 20.03.2021
डीएम को रिमाइंडर: 19.07.2021 और 20.09.21
आरसी कार्यान्वयन के लिए उच्च न्यायालय के आदेश की तिथि: 16.01.2022 (एक महीने के भीतर आरसी राशि की वसूली निर्धारित करना)
लेकिन अभी तक 3 लाख रुपए की आंशिक वसूली ही हुई है
नाम: सुश्री शकुन तलवार
फ्लैट बुकिंग का वर्ष: 07/08/2012
जमा राशि: रुपये 34,97,241
वादा किए गए कब्जे का वर्ष: 2016
यूपी रेरा शिकायत संख्या – NCR145/08/59618/2020
आरसी जारी करने की तिथि: 25.04.2021
डीएम गाजियाबाद को आरसी कार्यान्वयन के लिए अनुरोध: 21.01.2022
डीएम को रिमाइंडर: 18.02.2022
आरसी अनुपालन के लिए उच्च न्यायालय के आदेश की तिथि: 14.12.2021 (एक महीने के भीतर आरसी राशि की वसूली निर्धारित करना)
लेकिन अभी तक 4 लाख रुपए की आंशिक वसूली ही हुई है
नाम: प्रवेश चंद्र वर्मा
फ्लैट बुकिंग का वर्ष:
2011 जमा की गई राशि: रु 30+ लाख
वादा किए गए कब्जे का वर्ष: 2014
यूपी रेरा शिकायत संख्या – 9201817832
आरसी जारी करने की तिथि: 25.03.2021
डीएम गाजियाबाद को आरसी कार्यान्वयन के लिए अनुरोध: 20.03.2021
डीएम को रिमाइंडर: 04.04.2021 और 04.08.2021
आरसी छूट के लिए उच्च न्यायालय के आदेश की तिथि: 17.11.2021 (एक महीने के भीतर आरसी राशि की वसूली निर्धारित करना)
उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन के लिए डीएम को रिमाइंडर : 31.12.2021
लेकिन अभी तक 3 लाख रुपए की आंशिक वसूली ही हुई है
नाम: श्याम नारायण चौधरी
फ्लैट बुकिंग का वर्ष: 03/04/2012
जमा राशि: रुपये 55,20,612
वादा किए गए कब्जे का वर्ष: 2015
रेरा शिकायत संख्या – NCR45/07/0284/2019
आरसी जारी करने की तिथि: 23.06.2021 डीएम गाजियाबाद को RC execution की अर्जी: 19.08.2021
आरसी राशि = रु.70,10,737.7
अभी तक सिर्फ 5 लाख रुपये की आंशिक वसूली
स्पष्ट है के 10 साल से अधिक समय से अटके घर खरीद दारों के पैसे की वसूली के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। 50 से अधिक घर खरीदारों की आरसी गाजियाबाद जिला प्रशासन द्वारा निष्पादित नहीं की गई है। नतीज़तन वे इस रुकी हुई परियोजना में खर्च की गई अपनी जीवन भर की बचत की वसूली नहीं होने के कारण गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कई पत्र लिख कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुरोध किया है कि कृपया पीड़ित घर खरीदारों के जीवन को बचाने के लिए अंतरिक्ष संस्कृति परियोजना में यूपी रेरा द्वारा जारी सभी आरसी के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करें। उनका कहना है कि उनके मामले में शिकायत का निपटारा केवल तभी किया जाना चाहिए जब उनकी आरसी, रेरा अधिनियम 2016 के अनुसार पूर्ण रूप से निष्पादित हो। उन्हें उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश सरकार जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्य को पूरा करेगी और गाजियाबाद जिला प्रशासन द्वारा बिल्डर से आरसी बकाया की पूरी वसूली के बाद ही उनकी शिकायत को बंद करेगी.
ऐसा प्रतीत होता है कि गाजियाबाद के डीएम और तहसीलदार कार्यालय प्रशासनिक पक्षाघात से पीड़ित हैं। यह गाजियाबाद जिला प्रशासन की निष्क्रियता के कारण वसूली प्रमाणपत्र (आरसी) के कार्यान्वयन की मांग के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दरवाजे खटखटाने के लिए मजबूर होने वाले घर खरीदारों की बढ़ती संख्या से स्पष्ट है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आरसी की रकम पीड़ित खरीदारों को मुहैय्या करने के माननीय उच्च न्यायालय के आदेश प्राप्त होने के बाद भी जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। डीएम और तहसीलदार गाज़ियाबाद ने मानों प्रशासन की अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है।
*लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो पूर्व में ‘रियल्टी प्लस’ पत्रिका और रियल एस्टेट क्षेत्र से संबंधित अन्य प्रकाशनों से जुड़े रहे हैं।