संस्मरण
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
तेल और पेट्रोलियम से विस्थापितों का सहारा बनता बहरीन
बहुत छोटा सा देश बहरीन अमीर की प्रमुखता में तेल और पेट्रोलियम का उत्पादन करके अमीर बन रहा है। यहाँ की अर्थव्यवस्था और बैंकिग बहुत मजबूत है। इसी कारण भारतीय भी इस देश की व्यापारिक व्यवस्था में बड़ा योगदान कर रहे है। इसकी राजधानी मनामा है। इसका 5 हजार साल का अपना इतिहास है।
बहरीन का वातावरण शुष्क है और सबसे बड़ा शहर, मनामा का जनवरी में औसत तापमान 14 सेल्सियस है और अगस्त में उच्च 38 सेल्सियस होता है। यह देश अपनी अर्थव्यवस्था के लिए तेल और पेट्रोलियम उत्पादन पर निर्भर करता है।
इस देश को विस्थापन मुक्त राष्ट्र कहा जा सकता है। यहाँ जल संकट पेयजल की कमी के बावजूद यहाँ के लोग अपना देश छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहते है। अर्थव्यवस्था की मजबूती ही मुख्य कारण है। यहाँ की स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा भी आज की लोकतांत्रिक सरकारों से भी बेहतर की जा सकती है।
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दुनिया के बहुत से लोगों को इस देश ने रोजगार दिया है। हमारे देश के भी यहाँ मजदूर से लेकर महाप्रबंधक जैसे बड़े पदों पर बहुत से अधिकारी मौजूद हैं। इस देश में दुनिया की बहुत सी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की बैकिंग और तेल पैट्रोलियम में भागीदारी है। अब बहरीन के लोग भी व्यापार और प्रशासन में भागीदार हैं।
यहाँ अरब अमीरात का बड़ा प्रभाव है। बहरीन अरब खंडो के दूसरे देशों से अलग है। यहाँ उतना संकीर्णता नहीं है। व्यापार ने इस देश में खुलापन और व्यापकता बनाई है। महिला-पुरूषों में भी गहरी गैर-बराबरी नजर नहीं आ रही। मुस्लिम धार्मिक व्यवस्था मजबूत है। यहाँ धार्मिक प्रभाव है। आज के बाजार ने धार्मिक कट्टरपन को कम किया है। बाजारू व्यवस्था वैश्विकता की तरफ खुलकर आगे बढ़ रही है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।