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स्वामी सानंद जी के सातत्य स्वामी शिवानंद सरस्वती के गंगा सत्याग्रह के समर्थन में सामूहिक उपवास
डॉ. राजेन्द्र सिंह*
‘‘मैं गंगा का बेटा हूं‘‘ कहा था उसने। बेटा मां को हृदयरोग की बीमारी है, दांतों के डॉक्टर से इलाज मत करवाओ। इससे मां और अधिक बीमार होती जा रही है। आपने हजारों करोड़ खर्च किये लेकिन हमारी मां गंगा अधिक बीमार हो गई है। मां गंगा के लिए खर्च करने की जरुरत नही है। यह कोविड-19 ने साबित कर दिया कि यदि आप मां गंगा में गंदगी नही डालेगें तो मां फिर से आजाद होकर अविरल – निर्मल व पवित्र होकर बहने लगेगी। लेकिन बेटे की सरकार तो गंगा जी पर बेफिज़ूल ही खर्च किये ही जा रही है।
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सरकार को खर्च नहीं करके कानून बनाने की आवश्यकता है। मां गंगा की तीन बीमारी है- पहली है मां गंगा की जमीन पर अतिक्रमण, दूसरी बीमारी है मां गंगा का प्रवाह जो खनन और बांधो से रोक दिया गया है, तीसरी उद्योगों द्वारा प्रदूषण । यदि अब हम जैसे बेटे मां का इलाज नही करवायेगें तो आने वाली पीढी हमें माफ नही करेगी।
आज जो मां गंगा की आजादी और निर्मलता-अविरलता के गंगा सत्याग्रह 108 से ज्यादा स्थानों पर स्वामी सानंद के सातत्य में 3 अगस्त 2020 से शुरू, स्वामी शिवानंद के आमरण अनशन के समर्थन में उपवास शुरू हो रहा है। आप जानते है कि प्रो. जी.डी. अग्रवाल जी ने आमरण अनशन करके मां गंगा की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया, स्वामी निगमानंद जी ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। स्वामी नागनाथ जी ने भी बनारस में प्राणों का बलिदान दिया था। इस प्रकार भारत के अलग-अलग जगहों पर, जिनके मन, आंखों और हृदय में गंगा जी बहती है, वे सभी संकल्प लेकर अपना संकल्प पूरा कर रहे है।
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मुझे ,जलपुरुष को, सत्याग्रह में समर्थन देने बड़ी संख्या में अलग-अलग दल पहुंचे। मांग सिर्फ इतनी सी है कि स्वामी सानंद जी की मां गंगा की आजादी के लिए जो मांगे थी, उनको पूरा करो। मां गंगा के लिए एक भक्त परिषद बने, सरकार ने जो लिखित में दिया, उसको करवाने के लिए। सरकार बहुत कुछ बोलती है लेकिन बोलकर बैठ जाती है, उसका कोई पालन करने वाला नही होता इसलिए एक ‘‘गंगा भक्त परिषद‘‘ बहुत जरुरी है। खनन और नए बांध गंगा की ऊपरी धाराओं नहीं बने।
इन मांगो को पूरा करने के लिए सरकार ने कई बार वादे किए। 20 मार्च को दिल्ली में मंत्री गजेन्द्र शेखावत जी ने वादा किया कि आपके साथ जो बात चीत हुई ,है उसको तीन चार दिनों में पूरा करेंगे, ऐसा कहा था। लेकिन वो आज तक पूरा नही किया, घुमावदार बाते करके हर बार आंदोलनों को रोकने और तोडनें के लिए कोशिश करते रहे है।
इस बार हमने तय किया कि पहले, केवल एक-एक व्यक्ति तपस्या पर न बैठे। गंगा जी के लिए सभी अनशन करें। इस बार कोई अकेले नही रहे, शुरूआत में ही पूरे देश में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोगो को जुटा कर, लोग कर्मिक अनशन भी कर रहे है। क्योंकि इस तरह का अनशन होगा तो लोगों में चेतना जगेगी। जिससे जब लोग जानने लगेंगे कि अनशन पर क्यों बैठे है? तो लोग आपस में बातचीत होगी।
संयुक्तराष्ट्र संघ ने भारत सरकार को कहा है कि ‘‘स्वामी निगमानंद जी और स्वामी सानंद जी की तरह किसी और तीसरे व्यक्ति को ऐसा न करना पड़े।‘‘ इसलिए अब दुनिया में गंगा बचाने की चेतना जगाने का यह उपवास रखा है। इसकी गूंज अब संयुक्तराष्ट्र में भी शुरूआत हो गई है।
भारत में नही, पूरे विश्व में गंगा को चाहने वाले लोग है। 10 अगस्त 2020 को मेरे साथ फिलिप यू. के में, फ्रांस में इड़िट, टमेरा में मार्टिन, मिनी जैन लंदन में, ईथन यू.एस में, स्वीडन में ऋषभ खन्ना व सुनीता राऊत, भारत में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के साथ 108 से ज्यादा जगहों पर उपवास शुरु हुआ है जैसे- केरल से राजगोपाल पी.वी. जी, कर्नाटक के बैगलौर से आर.एच. साहूकार, बी. आर. पाटिल, तमिलनाडु में गुरुस्वामी जी, उडिशा में सुदर्शनदास, उत्तरप्रदेश में संजय सिंह, महाराष्ट में बहुत लोग बैठे डॉ. विनोदबोदनकर, धर्मराज, नरेन्द्र चुग, अनुपम सराफ, सारंग आदि, सत्यानारायण जी आन्ध्रप्रदेश में, वसुदेव, पारस प्रताप मध्यप्रदेश में, डॉ कृष्णपाल मेरठ में, चमन सिंह करौली में, रनवीर सिंह मासलपुर में, डॉ तेजराजदान, नंद किशोर, ब्रजकिशोर, उदयपुर में, कोटा में ब्रजेश विजयवर्गीय, त्रिपुरा में विभूति, आसम में हेम भाइ, तरुण भारत संघ, जल बिरादरी व परमार्थ के समस्त कार्यकर्ता आदि बैठे है। इस प्रकार यह सभी अपने-अपने घर पर रहकर गंगा उपवास कर रहे है।अब यह तपस्या गंगा को अविरल बनाने के लिए जारी रहेगी।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात, मैग्सेसे और स्टॉकहोल्म वॉटर प्राइज से सम्मानित, पर्यावरणविद हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।
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