– प्रशांत सिन्हा
पटना: बिहार में पहली बार शेडो गवर्नमेंट बना है। बिहार के सामाजिक कार्यकर्ताओं विद्वानों ने मिलकर एक संस्था बनाया है जिसका नाम रखा गया है “जागो ” । जागो संस्था के तत्वाधान में बने इस शेडो गवर्नमेंट का प्रधान कार्यालय पटना में होगा । इस शेडो गवर्नमेंट में मुख्य मंत्री के अलावा 32 मंत्री होंगे। इसके मुख्य मंत्री समाज सेवी डाक्टर सुमन लाल को बनाया गया है जबकि उप मुख्य मंत्री होंगे प्रो. ज्योति मुखर्जी। गगन गौरव और उनके साथियों ने करीब 700 सामाजिक कार्यकर्ताओं , शिक्षाविदों और अनुसंधान करने वाले विद्वानों के साथ मिलकर चर्चा करने के बाद इसकी शुरुआत की। बहुत जल्द इसकी नीति, कार्य प्रणाली और कार्य योजना को जनता के सामने रखा जाएगा।
शेडो गवर्नमेंट भारत में सर्वप्रथम 2005 में महाराष्ट्र में उस समय के विपक्षी दल भाजपा- शिवसेना ने कांग्रेस सरकार के विरुद्ध बनाया था। उसके बाद 2014 में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार के विरुद्ध बनाया था। 2015 में गोवा में भी एक एनजीओ ” जेन नेक्स्ट ” द्वारा बनाया गया था। केरल में भी 2018 में एक सिविल सोसायटी द्वारा प्रयोग किया गया था। मुंबई में मनसे के राज ठाकरे भी प्रयोग कर रहे हैं।
भारत में आम जनता को मालुम नहीं है कि शेडो गवर्नमेंट है क्या ?
शेडो गवर्नमेंट वेस्ट मिनिस्टर के अंतर्गत एक प्रकार की राजनैतिक संस्था है। शेडो मिनिस्टर की जिम्मेदारी होती है कि उस मंत्रालय के कामकाज में सरकारी गलतियों को ढूंढे, उसे जनता के समक्ष ले जाए और सरकारी नीतियों का विकल्प बताए। अधिकांश देशों में शेडो कैबिनेट के सदस्यों को शेडो मिनिस्टर कहा जाता है। विपक्षी दल या सिविल सोसायटी के सदस्य एक वैकल्पिक कैबिनेट बनाते है जो सरकार के निर्णयों की जॉच परख करता है और साथ ही लोगों की समस्याओं के बारे में भी अध्ययन करता है। सरकार के किसी निर्णय का लोगों पर कितना असर होगा इस पर भी ध्यान रखता है। शेडो गवर्नमेंट सरकार को जनता की समस्याओं से अवगत कराती है।
ब्रिटेन में शेडो कैबिनेट सफल प्रयोग है। इसके तहत विपक्ष में रहने वाली पार्टी भी अपना मंत्री मण्डल बनाती है। इसके सदस्यों में विभागों का बंटवारा किया जाता है। शेडो मिनिस्टर का काम अपने विभाग से संबंधित सरकारी मंत्रालय की नीतियां, कामकाज की निगरानी और वैकल्पिक नीतियों को प्रस्तुत करना होता है। इससे जनता लगातार सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच समझ और सोच की दिशा से परिचित रहते हैं। लोकतन्त्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राज्य व्यवस्था में समान रुप से महत्वपूर्ण अंग होते हैं। एक दल को जनता द्वारा शासन चलाने का जनादेश प्राप्त होता है। ब्रिटेन की इस शासन प्रणाली को अक्सर संसदीय प्रणाली या वेस्ट मिनिस्टर प्रणाली भी कहते हैं। यह प्रणाली किसी संविधान या संसदीय विधान द्वारा एक ही दिन में स्थापित नहीं की गई है बल्कि सैकड़ों वर्षों की अवधि में विकसित हुईं है। अतः ब्रिटिश संसद को ” सांसदों की जननी ” भी कहा जाता है।
भारत में विपक्षी दलों ने अपना दायित्व गम्भीरता से कभी नहीं निभाया। शेडो गवर्नमेंट की एक विशेषता यह भी है अगर इसमें ईमानदारी और गंभीरतापूर्वक नहीं निभाया तो बेनकाब होने की संभावना रहती है। इसमें सरकार की नीतियों को तर्क और तथ्य के आधार पर आलोचना करना पड़ता है। अगर यह प्रणाली भारत में सफल होता है तो जनता को सत्ताधारी और विपक्ष की नीतियां और कार्य प्रणाली को समझने में आसानी होगा। फिलहाल तो दोनों तरफ के शोरगुल से जनता दुविधा में रहती है।
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