चिराग पासवान
– प्रशांत सिन्हा
पटना: बिहार विधान सभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एनडीए) से बाहर आ हो गई है। चिराग पासवान नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। चिराग एक तरफ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खिलाफ मजबूती से लड़ना चाहते हैं तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।
भाजपा ने भी संभवतः बिहार विधान सभा चुनाव के लिए सर्वेक्षण कराया होगा। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकता कि बिहार में पंद्रह साल से सत्ता के शीर्ष पर बैठे मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर काफी अधिक है। दरअसल भाजपा को छोड़ कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ जाने और फिर राजद को छोड़कर भाजपा के साथ आने के नीतीश कुमार के फैसले के बाद उनकी विश्वसनीयता पर लोग संदेह करने लगे है।
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राम विलास पासवान जिन्हें सियासी गलियारे में मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है ने भी अपने पुत्र चिराग पासवान के सभी राजनैतिक फैसलों को समर्थन कर उन्हें बिना विचलित हुए आगे बढ़ने का संदेश दे दिया है। बिहार की मौजूदा राजनीति की सबसे अनुभवी नेता ने अगर चिराग पासवान को अपना समर्थन दिया है तो यह बिहार विधान सभा चुनाव के लिए बहुत अहम है। चिराग पासवान की 143 सीटों पर चुनाव लडने के फैसले ने जदयू से निर्णायक लड़ाई छेड़ दी है। चिराग पासवान की आत्मविश्वास का कोई कारण नहीं दिखता क्योंकि अगर पहले के चुनाव के वोट प्रतिशत को देखते हैं तो लोजपा का वोट प्रतिशत लगातार घट रहा है। राम विलास पासवान की गैरमौजूदगी का भी फर्क पड़ सकता है।
यह हमें पंद्रह साल पहले की घटना याद दिलाती है। फरवरी 2005 के बिहार विधान सभा चुनाव में राम विलास पासवान ने यूपीए में रहते हुए भी लालू यादव के खिलाफ चुनाव लडा था। उन्होंने कांग्रेस से समझौता किया लेकिन राजद के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे जिसकी वजह से लालू के केवल 75 विधायक ही जीते और राजद को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। इसी प्रकार क्या चिराग नीतीश का खेल बिगाड़ना चाहते हैं । क्या नीतीश सरकार पर नाकामियों का इल्ज़ाम इसी नीति का हिस्सा है ? 2005 में लालू – राबड़ी का शासन 15 वर्षों का था तो 2020 में नीतीश के 15 वर्ष हो गए। शायद चिराग इसमें कोई समीकरण ढूंढ रहे हैं।
इस बीच प्रथम चरण के चुनाव के लिए भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची भी जारी कर दी।
अभी एक और नया खिलाड़ी मैंदान में आया है जो बहुत ही जोर शोर से अपना प्रचार में लगा हुआ है.
कहीं दिल्ली की कहानी बिहार में ना हो जाए.