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विशेष: दो कवितायेँ
-रमेश चंद शर्मा
बच्चों की जुबानी

हम प्यारे-प्यारे बच्चे, दिल साफ, जुबां के सच्चे,
प्रेम की पींगे बढ़ाएंगे, खुशी के झूले झुलाएंगे।
नफरत की दिवारें ढाएंगे, एकता पुल बनाएंगे,
आगे बढ़ते जाएंगे, नया समाज बनाएंगे।
ममता-समता फैलाएंगे, दुनिया नई बनाएंगे,
खेलें-कूदें गाएंगे, कभी नहीं घबराएंगे।
हिंसा युद्ध मिटाएंगे, प्रेम के फूल उगाएंगे,
सबको गले लगाएंगे, विविधता अपनाएंगे।
रंग उत्सव मनाएंगे, जग में खुशियां लाएंगे,
प्रदूषण सब हटाएंगे, प्रकृति को बचाएंगे।
भूमि, गगन, वायु, अग्नि और पानी,
इसी से उत्पन्न हुई जीवन की कहानी।
पंचतत्व के पुतले बने जीव ओ इंसान,
इसी से प्रकृति बनी, इसी से बना भगवान।।
बच्चों की दुनिया

निर्मल निर्भय निश्छल सच्चे,
भोले भाले दिल के अच्छे।
खेलें कूदें शोर मचायें,
भागें दौड़ें गले लगायें।
हंसते गाते प्यारे प्यारे,
खिले फूल से न्यारे न्यारे।
राजा रानी राज दुलारे,
जीतें हरदम कभी न मारें।
नाज़ुक नम्र हिये के अच्छे,
ऐसे होते प्यारे बच्चे।
प्यारी लगती भारत माता,
हम खुद अपने भाग्य विधाता।
हम नफरत का भांडा फोड़ेंगे,
ऐसी सब दीवारें तोड़ेंगे।
आगे बढ़ते जाएंगे,
नहीं कभी घबराएंगे।
हमको सपना ऐसा आए,
दुःख न कोई दुनिया में पाए।
आओ नन्हें मुन्ने मुनिया,
बच्चों की यह नन्हीं दुनिया।।
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