– ज्ञानेन्द्र रावत*
गाजियाबाद: यदि कुछ करने की चाह हो तो संसाधन की कमी आड़े नहीं आती बल्कि रास्ता खुद ही मंज़िल तक पहुंचा देता है। और जब उद्देश्य परोपकार हो तो फिर संसाधन खुद ही जुट जाते हैं। कहते हैं ना : परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः । परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थ मिदं शरीरम् ॥ … परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं, नदीयाँ परोपकार के लिए ही बहती हैं और गाय परोपकार के लिए दूध देती हैं अर्थात् यह शरीर भी परोपकार के लिए ही है।
फिर जहां परोपकार नहीं वहां जीवन का कोई मतलब ही नहीं होता। कहा गया है: परोपकारशून्यस्य धिक् मनुष्यस्य जीवितम् । जीवन्तु पशवो येषां चर्माप्युपकरिष्यति ॥ अर्थात परोपकार रहित मानव के जीवन को धिक्कार है । वे पशु धन्य है, मरने के बाद जिनका चमडा भी उपयोग में आता है ।
स्वयं के लिए तो सभी जीते हैं परंतु, जो परोपकार के लिए जीता है, वही सच्चा जीना है। आज उत्तर भारत में इस भीषण ठण्ड में जहां घर के अंदर भी लोग ठण्ड में ठिठुर रहे हैं, कितने हैं जो, जिनके पास कोई छत भी नहीं है , उनके बारे में ना सिर्फ सोचते है परन्तु सीमित संसाधन होते हुए भी कुछ करते भी हैं?
ऐसी ही एक सहृदय परोपकारी महिला हैं उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में रहने वाली जयश्री सिन्हा जो मूलत: बिहार से हैं। कोई संसाधन ना होते हुए भी खुद ही कुछ नेक और सहृदय लोगों के साथ पहल कर वह प्रयास-एक आशा नाम की एक स्वयं सेवी संस्था का संचालन कर रहीं हैं। नव वर्ष की शुरूआत में गाज़ियाबाद के इंदिरा पुरम स्थित ज्ञान खण्ड, शक्ति खण्ड, अभयखण्ड व मकनपुर गांव आदि में उन्होंने अपनी इस संस्था के माध्यम से ठंड से सिकुड़ रहे बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और असहाय व अनाथ लोगों को जगह- जगह कैम्प लगाकर स्वैटर, कपडे़, चप्पल, चादर, बिस्कुट, नमकीन, टाफी के अलावा खाने के पैकेट दिये थे। इनमें बच्चों की संख्या तकरीबन दो सौ पचास और पुरुषों-महिलाओं की संख्या दो सौ के आसपास थी।
जयश्री अपनी संस्था द्वारा इस तरह के कार्यक्रम अक्सर आयोजित कर गरीब बच्चों को कपडे़ व खाने के पैकेट देती रहती हैं। बीते दिसम्बर माह में भी संस्था ने समाज के विभिन्न वर्गों के सहयोग से इंदिरापुरम के विभिन्न हिस्सों में गरीब-असहायों को गर्म कपडे़ व कम्बल वितरित किये थे। संस्था के इस तरह के जनहितकारी कार्यों और प्रयासों ने स्थानीय आवासीय समितियों के निवासियों के दिल में एक विशेष जगह बनायी हैं और सभी प्रयास एक आशा की भूरी भूरी प्रशंसा करते हैं। जयश्री का यह कारवां बढ़ता ही जा रहा हैं और आज उनके साथ सुशील कुमार, स्मृति अनुपम, शालिनी घोष, सुप्रिया कुमार, भगवान सिंह, गगनदीप सिंह, आशीष शर्मा, अनिल कुमार व अर्णव सिंह जैसे स्वयंसेवी कार्यकर्ता जुड़ चुके हैं। संस्था के इन जनहितकारी कार्यों से प्रभावित होकर ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्स्ट, फरीदाबाद, जन सेवा समाजसेवी संस्थान, दिल्ली, राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा समिति आदि विभिन्न संस्थाओं द्वारा बीते बरसों में सम्मानित भी किया जा चुका है।
दरअसल संस्था का बीते कई बरसों से मुख्यतः पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन-संचालन और समाज के वंचित तबकों के बच्चों को शिक्षित कर, उन्हें पुस्तकें, कपडे़, जूते, खिलौने आदि देकर प्रोत्साहन, उनको दूध सहित पौष्टिक आहार प्रदान करना, स्वास्थ्य सुरक्षा व स्वच्छता विशेषकर महिला सुरक्षा और उनको स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना , उनको सेनेटरी नैपकिन प्रदान करना ,उसके उपयोग के महत्व की जानकारी देना और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से प्लास्टिक विरोधी जागरूकता संबंधित एवं कोरोना काल में मास्क वितरित किये जाने वाले अभियानों आदि में संस्था अपने लक्षित उद्देश्यों के प्रति समर्पित है। यही नहीं कोरोना संक्रमण काल में पलायन के दौर में संस्था द्वारा बीते साल मार्च – अप्रैल माह में दिल्ली से रोजगार खो चुके लोगों जो पैदल अपने गांव-कस्बों को जाने को मजबूर थे, को क्षेत्रीय जनता व जन प्रतिनिधियों के साथ को भोजन-पानी व यथासंभव मदद करना संस्था का समाज सेवा का प्रशंसनीय कार्य रहा है। इन कार्यक्रमों को सफल बनाने में डा.पूजा चौधरी, डा.सुकृति भसीन, डा.विकास श्रीवास्तव, श्री आशीष चौधरी सी ए,रिचा सहाय,श्रुति गुप्ता, आशुतोष कुमार,देवयानी मल्होत्रा,पुलिन नंदन सहाय, सुश्री सविता, राजहंस व शालिनी घोष की अहम भूमिका रही है। सबसे बड़ी बात कि यह सब समय समय पर स्थानीय पार्षद मीना भंडारी की सार्थक मौजूदगी और सहयोग और समाजसेवी, विचारक श्री भगवान सिंह जी के दिशा-निर्देशन से ही संभव हो सका है।
आज समाज को ज़रुरत है जयश्री जैसी व्यक्तित्व की जो परोपकार के अपने छोटे से पहल को ना सिर्फ एक अंजाम दे सके पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके प्रति प्रेरित भी कर सके।
*लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं चर्चित पर्यावरणविद हैं।
माननीय ज्ञानेंद्र रावत जी का बहुत बहुत धन्यवाद एवम आभार जिन्होंने मेरी संस्था के कार्यो को देखा और मेरी सराहना की 🙏🙏🙏
जयश्री जी आप मेरी भाभी हैं, इसका मुझे गर्व है।
आप एक महान कार्य में नि:स्वार्थ भाव से लगातार लगी हुई हैं।
ईश्वर आपको सफल बनाए।