शुभ दीपावली
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
जलवायु परिवर्तन के संकट को समझकर सरकार ने इस बार पटाखों पर रोक लगाकर बहुत ही अच्छा काम किया है। पटाखों का प्रदूषण दीपावली पर बहुत अधिक बढ़ता है यद्यपि चंद पटाखे बनाने – बेचने वालों को इससे लाभ नहीं होगा, लेकिन यह सभी के लिए शुभ है।
भारतीय लक्ष्मी तो प्राचीन काल से ही “शुभ” हेतु ही सभी के घरों में आती रही हैं, लेकिन अब यह केवल लाभ के लिए ही मनाई जाने लगी है। लाभ सबको नहीं होता है, लेकिन शुभ सब की प्राप्ति के लिए होता है। लाभ कमाने वाले अब अलग तरह से लक्ष्मी पूजा (दीपावली) मना रहे हैं , जबकि कोविड-19 से भयभीत, पीड़ित और गरीब लोग दीपावली भिन्न तरह से मना रहे हैं।
“कोरोना की नई माई कोविड-19 आई है।” यह केवल माई नहीं,” कोविड – कमाई है।” कमाई करने वाली लक्ष्मी आई है। भारत में लक्ष्मी जब शुभ के साथ आती थी, तब लाभ कमाने हेतु किसी को भयभीत नहीं करना पड़ता था। अब लक्ष्मी केवल लाभ कमाने के लिए ही है। अब लाभ हेतु हिंसा, भय सभी कुछ पैदा करके लक्ष्मी (लाभ) को प्राप्त किया जाता है, जो किसी के लिए भी शुभ नहीं है।
शुभ तो निर्भय , सुख, शांति और संतोष से होता है। इसलिए दीपावली ऐसे दिनों का उत्सव है, जब लोग निरोग होकर आनंद ग्रहण करते थे। लेकिन इस दीपावली के अवसर पर सबको भयभीत बना रहा है। हम अपने अंतर मन से भय मुक्त होकर दीपावली मनाएं, तो आरोग्य रक्षण प्राप्त करके इस पर्व को शुभ मंगल मय बना सकते है। मेरे प्रिय देशवासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
*जलपुरुष के नाम से विख्यात और स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज तथा मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित पर्यावरणविद ।