पहल – भाग 2
पटना: इस बार जब लॉकडाउन की शुरूआत हुई तो सरकारी सेवारत और ब्लॉगर मनीष वर्मा का ध्यान पटना में ऐसे परिवारों पर गया जहाँ कई सदस्य कोरोना से संक्रमित हो गए थे। विशेष तौर पर जहाँ बच्चे छोटे थे या घरों में बुजुर्ग थे, वहाँ दोनों वक्त का भोजन बनाना एक बड़ी समस्या थी। कहीं एकल परिवार था। कहीं बैचलर थे । कोरोना से ग्रस्त मरीज खुद खाना बना नहीं सकते थे और अगर बाहर से खाना मंगवाया जाता तो वो बहुत खर्चीला तथा मरीजों के लिए उचित नहीं होता। और हर व्यक्ति या परिवार के लिए यह संभव भी नहीं था। अपनी माँ की स्मृति में बनाये गए पुतुल फाउंडेशन के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर मनीष वर्मा ने तय किया कि ऐसे परिवारों को शुद्ध, शाकाहारी और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाया जाये।
कोविड – 19 संक्रमण के बारे में आधी-अधूरी जानकारी और अफवाहों के भय से इन परिवारों में लोगों ने आना जाना बंद कर रखा था। दो वक़्त का भोजन ऐसे परिवारों और लोगों के लिए समस्या न बनें इसलिए पुतुल फाउंडेशन की और से मनीष वर्मा, दिव्या वर्मा अपने वोलंटियर्स की मदद से जरूरतमंदों तक खाना पहुँचाने की जिम्मेदारी संभाली। पुतुल फाउंडेशन मुख्यतः आम आदमी की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं ख़ासकर महिलाओं के स्वास्थ्य और सफाई संबंधित मुद्दों पर काम करती है। फाउंडेशन के तत्वावधान में “आल इंडिया सुनैना वर्मा मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट” का भी आयोजन होता है जो राज्य का एक काफी महत्वपूर्ण टूर्नामेंट बन गया है।
यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद गांवों में आर्थिक तंगी और भूखमरी की समस्या
इस कोरोना काल में खाना बनाने के लिए किचन की व्यवस्था करना एक मुश्किल काम था। पुतुल फाउंडेशन के समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं थीं। पर, जहां चाह वहां राह । ऐसी परिस्थिति में पुतुल फाउंडेशन ने पटना के विभिन्न इलाकों में संचालित रेस्टोरेंट की मदद ली। उनसे एक तय मेनू के अनुसार खाना बनवाया गया। उसे मशीन से पैक किया गया ।
असल समस्या अब सामने आई। रेस्टोरेंट वाले ने अपने अपने क्षेत्रों में तो खाना समय से और सुचारू रूप से भिजवा दिया। पर, पटना शहर के कुछ इलाके ऐसे थे जहां वो नहीं जा पा रहे थे। ऐसे वक़्त में कुछ ऐसे वोलंटियर्स पुतुल फाउंडेशन के साथ जुड़े जो इस कोरोना काल में भी निस्वार्थ भाव से कोविड नियमों का अनुपालन करते हुए घर घर खाना पहुंचाने की अहम जिम्मेदारी निभाया।
अनिसाबाद पटना के योगेश, जो एक युवा उद्यमी हैं, श्री कृष्ण नगर पटना के वैभव सिन्हा जो पेशे से एक अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में सोफ्टवेयर इंजिनियर हैं और फिलहाल घर से ही काम कर रहे हैं और रवि राज़ – एक युवक जो खुद पढ़ाई कर रहा है, जिसने सोशल मीडिया के द्वारा जाना कि पुतुल फाउंडेशन इस तरह का काम कर रहा है तो उसने तत्काल मनीष वर्मा को फोन किया और अपनी सेवा देने की इच्छा जताई।
ऐसे लोगों बहुमूल्य योगदान को कतई भुलाया नहीं जा सकता है। हर मुश्किल को आसान करते हुए पुतुल फाउंडेशन आगे बढ़ता गया। इन वोलंटियर्स की मदद से खाने को घर घर पहुंचाया गया। लाॅकडाउन भी था। वोलंटियर्स के सामने रोड पर निकलने की परेशानी आ रही थी। ऐसे वक़्त में मनीष वर्मा ने अपने स्तर पर संबंधित थानों के थानेदारों से संपर्क किया और उनसे मदद मांगी। इस तरह मरीजों के परिवारों में और कोरोना से संक्रमित लोगों के घरों में खाना पहुँचाने की शुरुआत हुई।
पंद्रह दिन बीतते बीतते पुतुल फाउंडेशन ने आस पास के इलाकों के साथ ही साथ लगभग पुरे पटना शहर में अपने वोलंटियर्स की मदद से खाने की सुचारू व्यवस्था कर डाली। इतना ही नहीं पुतुल फाउंडेशन के स्वयंसेवकों ने जगह जगह घुम घुम कर भी जरुरतमंदों तक फ़ुड पैकेट्स बांटे।
दिव्या वर्मा जो पुतुल फाउंडेशन की ट्रस्टी होने के साथ ही साथ क्राइस्ट कॉलेज बेंगलुरु में जैव प्रौद्योगिकी विषय की छात्रा हैं, इस काम में तन-मन से मदद करने में जुट गयीं। उन्होंने आस पास के ऐसे परिवारों का पता लगाया जहाँ खाने की समस्या आ रही थी। जल्द ही ऐसे घरों में खाने की सुरूचिपूर्ण ढंग से पैक की गई थाली पहुंचने लगी। हरेक घर में जहां कोराना के मरीज थे और जहां फाउंडेशन के वोलंटियर्स खाना पहुंचाते थे, फ़ोन के जरिये मरीजों की तबियत और अन्य जरूरतों के बारे में भी दिव्या लगातार पता करती रहीं। जल्दी ही कई और स्वयंसेवक भी दिव्या और मनीष वर्मा के प्रयासों में अपना हाथ बंटाने आ जुटे।
पुतुल फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी सतीश चन्द्र वर्मा एवं सचिव रश्मि ने बताया कि ऐसा कोई प्रयास शुरू में भागीरथी लग रहा था। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि अपने व्यक्तिगत स्रोतों के जरिये वो कितने लोगों को खाना पहुंचा पायेंगे। खाना बनाने और पहुँचाने में होने वाला खर्च एक बड़ी समस्या थी, लेकिन “लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया” की तर्ज पर उनके लिए भी मदद आती रही। मित्रों और सहयोगियों ने खुलकर अपना सहयोग दिया।सतीश चन्द्र वर्मा मानते हैं कि सामाजिक सहयोग के मामले में बिहार का समाज एक मिसाल है। उन्होंने कामना की कि समाज ऐसा ही एकजुट रहे, ना कि जैसा जाति-धर्म के नाम पर उसे विखंडित माना जाता है, वैसा हो।
इसके अलावा मनीष वर्मा ने अपने कार्यालय में कार्यरत सुरक्षा प्रहरियों, सफाई कर्मचारियों और ड्राइवरों के बीच मास्क, विटामिन सी, विटामिन डी और ज़िंक की गोलियों का भी वितरण किया। सरकारी सेवारत और ब्लॉगर मनीष वर्मा लम्बे समय से सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो