– डा.रक्षपाल सिंह*
अलीगढ़: नई शिक्षा नीति 1986/ 1992 के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश (यूपी) में सरकारी, सहायता प्राप्त एवं निजी तीन प्रकार के बेसिक स्कूल संचालित हो रहे हैं। एक ओर जहाँ सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन वहां की सरकार द्वारा वहन किया जाता है तो वहीं निजी स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन की अदायगी निजी स्कूलों के प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों से प्राप्त शुल्क से की जाती है। ज्ञातव्य है कि सरकारी व सहायताप्राप्त स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन आयोग द्वारा निर्धारित वेतन एवं भत्ते प्रदान किये जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन आयोग द्वारा संस्तुत वेतन का 20 प्रतिशत वेतन भी नहीं मिलता ।
सरकारी/सहायता प्राप्त बेसिक स्कूलोँ एवं निजी स्कूलों के शिक्षकों के बीच वेतन वितरण का सौतेलेपन, समान कार्य के लिए समान वेतन नियम का घोर उल्लंघन, नई शिक्षा नीति 1986/92 लागू होने के बाद से निरंतर हो रहा है और इस दौरान यूपी में रही सरकारों ने निजी स्कूलों के शिक्षकों के साथ होते रहे अन्याय व शोषण के प्रति अपनी आंखें मूदे रखीं हैं।
उल्लेख्य ये भी है कि यूपी की सरकारें सरकारी/सहायता प्राप्त बेसिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्तियां करने में नाकाम रहीं, तो 21 वीं सदी की शुरुआत में तत्कालीन यूपी सरकार के द्वारा प्राथमिक स्कूलों में इंटरमीडिएट उत्तीर्ण लोगों को शिक्षा मित्र पद एवम ग्रेजुएट उत्तीर्ण लोगों को अनुदेशक पद पर उच्च प्राथमिक स्कूलोँ में नियुक्तियां दी गईं । लगभग 124000 शिक्षा मित्र एवं अनुदेशक आज भी स्कूलों में कार्यरत हैं और आश्चर्यजनक तथ्य ये हैं कि एक ओर जहां नवनियुक्त प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षकों को क्रमशः 50 हजार व 60 हजार रु से ऊपर प्रति माह वेतन प्राप्त हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर वर्षों बाद भी शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों को क्रमशः 10 हजार रु एवं 7 हजार रु मासिक मानदेय ही प्राप्त हो पा रहा है।
आश्चर्य ये भी है कि कम पढ़े अर्थात इंटर उत्तीर्ण शिक्षामित्र को 10 हजार रु और अधिक पढ़े लिखे अनुदेशक को कम मानदेय अर्थात 7 हजार रु दिया जाना यूपी सरकारों की केबिनेट की योग्यता, संवेदन शीलता का जीता जागता सबूत रहा है ? वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ वर्षों से शिक्षक पद का दायित्व निभा रहे अप्रशिक्षित शिक्षा मित्रों को सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एवम प्रशिक्षित ग्रेजुएट अनुदेशकों को तृतीय श्रेणी सरकारी कर्मचारियों के समकक्ष वेतनमान अनुमन्य करने की घोषणा करके उसे अविलंब लागू करें जिससे एक लंबे अरसे से शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों के साथ हो रहे घोर अन्याय एवं शोषण से मुक्ति मिल सके।
*लेखक धर्म समाज कालेज, अलीगढ़ के पूर्व विभागाध्यक्ष व प्रख्यात शिक्षाविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।