प्रत्यक्षतः
– डॉ रमेश ठाकुर*
मानवीय कार्यों को करने और कर्माहूति देने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए
चुनौती कम नहीं थी, ख़तरे भी बहुत थे। पर, ठान लिया था, कुछ भी हो जाए, कोई भी क़ीमत क्यों ना चुकानी पड़े, बच्ची को बचाना है। 10 अगस्त 2021 की रात दो बजे पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर से एक 15 वर्षीय बच्ची खुशबू (परिवर्तित नाम) अपने घर से गायब हो जाती है। माता पिता मुझसे संपर्क करते हैं, बोले आप बच्चों के लिए काम करते हैं हमारी बच्ची को बचा लो।
पूरी बात सुनकर मैंने रात में ही गांधी नगर थाने के एसएचओ संजय भारद्वाज को अवगत कराया। मामला प्रथमदृष्टया किडनैपिंग का प्रतीत हुआ। बच्ची को कौन ले जा सकता है? एक लड़के पर शक था, मोबाइल नंबर भी था उनके पास। तभी लड़के का परिजन बनकर उससे बात की, तो उसने सच्चाई उगल दी। बोला खुशबू मेरे साथ है, निक़ाह के लिए उसके घर से ले गया हूँ।
पुलिस ने अपहरण के केस में एफआईआर दर्ज की। टीम गठित की गई, टीम में एएसआई सुभाष चंद्र, महिला कांस्टेबल रीता व अन्य को शामिल किया, साथ में मैं भी। लोकेशन ट्रेस की, अजमेर शरीफ की सामने आई।
अपहरण करने वाला मोहम्मद साहिल पड़ोस का ही था। सुबह हो चुकी थी। इसी बीच मैंने पत्रकार योगेश सोनी को भी साथ लिया, वह भी थाने पहुंच गए। उन्होंने अजमेर शरीफ के लोकल पत्रकारों और स्थानीय पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया। तभी दिल्ली पुलिस ने आरोपी साहिल को फ़ोन किया, उसे विश्वास में लिया और दिल्ली वापस आने को कहा। डीसीपी साहब की भी नज़रें बनी हुई थी। साहिल ने आना स्वीकार किया और रोडवेज की बस में सवार हुआ।
जिस बस में वह खुशबू को लेकर चढ़ा, उसके ड्राइवर-कंडक्टर को पूरी घटना से वाकिफ करा दिया गया। साथ ही साहिल पर कड़ी नजर रखने और बस को रास्ते मे कहीं भी नहीं रोकने को कहा। पुलिस की टीम सिविल ड्रेस में बॉर्डर पर पहरा दे रही थी, बस जैसे ही पहुंची साहिल को दबोच लिया। थाने लाया गया, पूछताछ हुई।
लड़की का मेडिकल कराया जिसमें किसी तरह का कोई फिज़िकली असॉल्ट की बात सामने नहीं आई। दोपहर को बच्ची का कोर्ट में बयान हुआ, फिर दिल्ली चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की कागजी करवाई और कॉन्सलिंग के बाद बच्ची को सकुशल उनके परिजनों को सौंपा।
एसएचओ साहब और उनकी टीम को दिल से सैल्यूट। उस दिन मेरा बर्थडे भी था, आप लोगों ने शुभकामनाएं दी। आप सबका दिल से आभार-अभिनंदन। व्यस्तता के कारण ज्यादातरों को रिप्लाई नहीं दे पाया। घटना को आपसे साझा करने का मकसद मात्र इतना है कि ऐसे मानवीय कार्यों को करने और कर्माहूति देने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए।
*डॉ. रमेश ठाकुर भारत सरकार के राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास संस्था के सदस्य हैं।