विरासत स्वराज यात्रा
– डॉ राजेंद्र सिंह*
जलगांव महाराष्ट्र में नव वर्ष के अवसर पर 1 जनवरी 2022 को मैंने ‘‘गिरना नदी पुनर्जीवन अभियान’’ गिरना परिक्रमा का शुभारंभ कानळदा गांव में गिरना नदी के किनारे किया। इस अवसर पर यहां के खासदार, आमदार और किसान आयोग के अध्यक्ष रहे पाशा पटेल और बहुत सारे सामाजिक व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता व ग्रामीणों ने भाग लिया।
गिरना नदी महाराष्ट्र की बड़ी विरासत है। आज इस विरासत पर बहुत संकट है। जब नदी बचेगी तो यह देश बचेगा। गिरना बचेगी तो यह इलाका स्वस्थ रहेगा। अभी गिरना बीमार है, आईसीयू में भर्ती है। इस नदी को ठीक से इलाज करो। नदी का इलाज करना अब बहुत जरूरी है , अपनी नदी का इलाज नहीं होगा तो नदी मर जाएगी और जब कोई नदी मरती है, तो उस नदी का समाज, संत और राज सब समाप्त हो जाता है। इसलिए यहाँ समाज संतों को अपनी जिम्मेदारी समझ कर गिरना मां को बचाने के काम में एकजुट होने की जरूरत है।
अभी गिरना नदी में तीन तरह का संकट है। गिरना की जमीन पर अतिक्रमण , प्रदूषण हो रहा है और गिरना के जल व रेत का खनन हो रहा है। ऐसा लगता है कि, गिरना के बेटों को जल से ज्यादा, रेत का खनन ज्यादा अच्छा लग रहा है। वो गिरना के महत्व को भूलकर रेत के महत्व पर आ गए है। आज हमें अंग्रेजी नए साल में आधुनिक शिक्षा को भूलकर, अंग्रेजियत को त्याग कर, अपनी बुनियादी विद्या से गिरना को ठीक करने का काम करना चाहिए।
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गिरना नदी लालची शिक्षा से ठीक नहीं हो सकती, गिरना सबका साझा भला चाहने वाली विद्या से ही ठीक होगी। गिरना की विद्या यह है कि गिरना अविरल, निर्मल और किनारों की स्वच्छता के साथ नदी अपने काल में आजादी के साथ प्रवाह करती है, सतत बहती रहती है। गिरना में गंदा जल ना मिले। गिरना में जलगांव का गंदा पानी मिल जाता है, जिससे प्रदूषित हो गई है और पानी का शोषण यह तीनों समस्याएं हैं। इन समस्याओं को जानने और उनके समाधान को गहराई से जानने के लिए हमारी यह विरासत स्वराज यात्रा निकाली है। इस यात्रा में सभी को दलगत राजनीति से मुक्त होकर काम करने की जरूरत है।
आज भारत में नदी जोड़ करने के बजाय नदियों के साथ लोगों को जोड़ने की जरूरत है । जब नदी से लोग जुड़ेंगे तो नदी को जानेंगे और उपचार करेंगे।
इसके उपरांत हमारी यह यात्रा पैदल कानळदा से फुफनगरी,वडनगरी,खेडी,आव्हणे,निमखेडी गाँवों में सभा करती हुई जिला कार्यालय सभागार जलगांव में पहुंची। यहां के खासदार उन्मेष पाटिल ने कहा कि गिरना नदी के पुनर्जीवन के कार्यों में आज से ही लगेंगे।
नदी में गांव के जीवन के आर्थिक,सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक सारे प्रवाह नदी से मिलता, इसलिए इस नदी को स्वस्थ रखना जरूरी है, यदि नदी स्वस्थ रहेगी तो इस नदी के बेटे – बेटियां भी स्वस्थ होंगे। पूरे जलगांव में नदी पाठशाला का आयोजन करना चाहिए। हम सभी को अपने बच्चों को साफ-सुथरा पानी मिले, हमारे बच्चों की जिंदगी सुरक्षित व स्वस्थ हो इसलिए इस यात्रा में सब जुड़े।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।