[the_ad_placement id=”adsense-in-feed”]-ज्ञानेन्द्र रावत*
नई दिल्ली: आज समूचे विश्व के लिए महामारी बन चुका कोरोना वाइरस अभी तक लगभग 22000 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका है। कोरोना से संक्रमित लोगों की तादाद पूरी दुनिया में अब 2,87,726 का आंकड़ा पार कर चुकी है। इस महामारी से अभी तक इस बीमारी के जनक चीन से भी ज्यादा इटली में 4800 लोग मौत के मुँह में चले गए हैं। बीती 20 मार्च को ही अकेले 627 लोगों की इटली में मौत हो चुकी है। अभी भी वहां 7822 लोग कोरोना संक्रमित हैं। इसके बाद इस वायरस ने ईरान में जो तबाही मचाई है, उसे देखकर दिल दहल जाता है। इटली की तरह वहां हाहाकार मचा हुआ है।स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हैं। अस्पतालों में जगह नहीं है। मृतकों को दफनाने के लिए सेना को बुलाया गया है।
हालात की भयावहता का आलम यह है कि समूचा युरोप इस महामारी की चपेट में है। स्विट्जरलैण्ड में इमरजेंसी लगा दी गयी है। फ्रांस में शटडाउन किया गया है और सेना ने कमान संभाल ली है। अमरीका भी अछूता नहीं रह पाया है। आलम यह है कि कोरोना के चलते दुनिया के देशों के बाजारों में सन्नाटा छाया हुआ है। दुनिया भर में लोग कोरोना से इस तरह आतंकित हैं, कि उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आ रहा कि वे करें तो क्या करें। अभी तक हमारे देश में कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद भले 315 बताई जा रही है और इसके चलते चार ही मौतें और 23 के अभी तक ठीक होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन दुनिया में चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद केवल इतनी ही है, इस पर सहज भरोसा नहीं किया जा सकता। हालात इसके जीते जागते सबूत हैं। जबकि कोरोना संक्रमितों की तादाद सुरसा के मुँह की तरह रोजाना तेजी से बढ़ रही है। इस तादाद पर उस दशा में तो कतई भरोसा करने का सवाल नहीं उठता जबकि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल भगवान भरोसे हो। और वह भी उस हालत में जबकि अभी तक इस महामारी की दुनिया में कोई दवा ही ईजाद न हो सकी हो।
हालात की भयावहता को अब सरकार भी स्वीकार कर चुकी है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि सरकार ने आगामी 31 मार्च तक के लिए स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर नाइट क्लब, जिम, मॉल सभी बंद करने की घोषणा की है। अफगानिस्तान, फिलीपींस, मलेशिया, टर्की, ब्रिटेन सहित युरोपीय यूनियन सहित युरोप के 32 देशों के पर्यटको के भारत में प्रवेश पर रोक लगा दी है। विदेशी उड़ानों के भारत प्रवेश पर रोक लगा दी है। राजस्थान में 31 मार्च तक लॉकडाउन की घोषणा की है। धारा 144 लागू कर दी गई है। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सरकारी एवं निजी दफ्तर, मॉल, बाजार, सब बंद कर दिए गए हैं।
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अधिकतर राज्य कोरोना से बचाव की दिशा में हरसंभव वे प्रयास कर रहे हैं जो जरूरी हैं। देश में कोरोना से सबसे ज्यादा खराब हालत देश की औद्योगिक राजधानी मुम्बई की है। वहीं कोरोना के प्रकोप को फैलने से रोकने की दिशा में बचाव हेतु 22 मार्च की सुबह 6 बजे से रेल सेवा बंद कर दी गयी है। लोगों से राष्ट्र्हित में कुछ दिनों तक रेल यात्रा न करने की अपील की गई है। इमरजेंसी की स्थिति में हॉस्पिटल, मेंडिकल स्टोर, बैंक आदि सरकारी सेवाओं को इससे छूट दी गई है। मुम्बई लोकल में स्थानीय यात्राओं पर रोक लगा दी गई है। बाजार, दुकान, फैक्ट्री सब बंद कर दिये गए हैं। विख्यात सिद्धि विनायक मंदिर जहां रोजाना तकरीब 40 हजार से ज्यादा दर्शनार्थी आते हैं, शिरडी स्थित साईं मंदिर, तिरूपति बालाजी मंदिर, मेंहदीपुर का बालाजी मंदिर, वैष्णों देवी मंदिर, पूना का शनिवार वाडा, और आगरा स्थित दुनिया का सातवां आश्चर्य ताजमहल अगले आदेश तक पहले ही प्रशासन द्वारा पर्यटकों के लिए बंद कर दिये गए हैं। सभा-सेमिनार-सम्मेलन के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। सरकार द्वारा 50 से अधिक लोगों के एक जगह एकत्रित न होने की और लोगों से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी गई है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित कर दिये हैं। कुछ राज्यों की विधान सभायें अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई हैं। देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान आई आई टी से हॉस्टल खाली कराये जा रहै हैं। मुंबई में संक्रमित व्यक्ति के हाथ पर ‘होम क्वारोंटाइन‘ का ठप्पा लगाने का महाराष्ट्र सरकार आदेश दे चुकी है ताकि संक्रमित की पहचान हो सके और रोग के फैलने से बचाने हेतु उसे दूसरे लोगों से अलग रखा जा सके। इसका प्रमुख कारण बीते दिनों में देश में महाराष्ट्र में कोराना संक्रमित लोगों की सबसे अधिक तादाद पहुंच जाना है।
भारत में कोरोना वाइरस के रोगियों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी चिंता का विषय है। यदि इस पर शीघ्र अंकुश नहीं लगाया गया तो निश्चित है कि हालात बद से बदतर होंगे। इस बारे में भारत की और इटली की तुलना करना बेवकूफी होगी। लेकिन जिस तरह महामारी ने हमारे यहां दस्तक दी है, यह भयावह खतरे की घंटी है। उस हालत में जबकि हमारे यहां धार्मिक-सामाजिक समारोहों की बहुलता है। अंधविश्वास और आडंबरों का बोलबाला है। यहां हर चीज को धर्म से जोड़ कर देखने की मानसिकता है। ऐसे लोगों की अधिकता है हमारे यहां। लापरवाही के उदाहरण भी कम नहीं हैं यहां। वह बात दीगर है कि अभी तक देश में कोरोना का प्रभाव शहरी
इलाको में ही दिखाइ दिया है। ग्रामीण क्षेत्र अभी तक इसके प्रभाव से अछूते थे लेकिन अब वहां भी कोरोना ने अपने पैर पसारने में कामयाबी हासिल कर ली है। कुछ मामले इसके प्रमाण हैं। लेकिन इसकी भयंकरता को नकारा नहीं जा सकता।
इस बारे में जागरूकता और बचाव ही सबसे बड़ा कारगर उपाय है। इस बारे में नीदरलैंण्ड के वायरस विशेषज्ञ अजय महानकर का कहना है कि कोरोना से आज पूरा यूरोप ही नहीं, ईरान, अमरीका और भारत सहित पूरी दुनिया पीड़ित है। बचाव का स्वयं की जागरूकता सबसे बड़ा उपाय है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। घर पर ही रहें। जो जहां हैं, वह वहीं पर रहें। आवश्यकता पड़ने पर ही कहीं जायें। लेकिन उस समय भी बचाव के तरीकों का इस्तेमाल करना न भूलें। सबसे बड़ी जरूरत है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर बचाव के तरीकों का इस्तेमाल किया जाये क्योंकि यह जिन लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनपर जल्दी हमला करता है। सबसे अहम् बात यह है कि अभी भी उस हालत में जबकि कोरोना जांचने की किट का अभाव है, चिकित्सा सुविधाओं का अभाव जगजाहिर है,हमारे लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना बहुत जरूरी है। कर्फ्यू से सामुदायिक स्तर पर कोरोना से बचाव कर पाने में आसानी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा है कि अभी तक इस संक्रमण से 91000 लोग ठीक भी हुए हैं। इसलिए घबरायें नहीं, हां हर संभव बचाव जरूर करें। जनता कर्फ्यू से इसे रोकने में जरूर मदद मिलनी चाहिए। डेली मेंल के अनुसार एक शोध का निष्कर्ष है कि कोरोना से ए ब्लड ग्रुप के लोग जल्दी शिकार होते हैं। इनकी तादाद 41 फीसदी है जबकि ओ ब्लड ग्रुप के लोगों पर कोरोना का असर होने में ज्यादा समय लगता है। इनकी तादाद 52 फीसदी के करीब है। इस दिशा में हमारी सरकार के प्रयासों को भी नकारा नहीं जा सकता। इसकी रोकथाम में वह यूद्ध स्तर पर व्यवस्था करने में जुटी है। लेकिन वह देर से चेती, इसे झुठलाया नहीं जा सकता। उसे बीते माह ही इसकी रोकथाम के प्रयास कर देने चाहिए थे। विडम्बना यह कि जब फ्रांस में शटडाउन है, वहां आपातकाल लगा दिया गया है, लेकिन हमारी सरकार इस दिशा में मौन क्यों है। यह समझ से परे है। आवश्यक होता कि सरकार इस आपदा की घड़ी में आपातकाल की घोषणा करती।
कोरोना आपदा से कम नहीं है। यह एक टाइम बम से कम नहीं है। इससे जंग समझदारी से एकजुट होकर लड़नी होगी। इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 22 मार्च के लिए देशवासियों से कोरोना से लड़ने हेतु आह्वान एक अच्छा कदम है। हमें एकजुट होकर यह लड़ाई लड़नी होगी, तभी कामयाबी संभव है, अन्यथा नहीं।
*वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं पर्यावरणविद्
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