सैकड़ों ट्रैक्टरों के साथ पांच हजार किसान पहुंचे गाजीपुर बार्डर
गाजियाबाद: कोरोना लॉक डाउन के समाप्त होते ही आंदोलनकारी किसान एक बार फिर से भारी संख्या में गाजीपुर बार्डर पहुँच रहे हैं। । शनिवार को आंदोलन आठवें माह में प्रवेश कर जाएगा। सात माह पूरे होने पर आज 26 जून 2021 शनिवार को किसान सभी प्रदेशों के राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपेंगे। शुक्रवार शाम ट्रैक्टर मार्च की अगुवाई करते हुए गाजीपुर बार्डर पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के ऊपर संचालित आंदोलन के मंच से कहा कि सरकार हठधर्मी हो गई है। सात माह से पूरे देश का किसान सड़कों पर है और सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही। उन्होंने कहा कि गूंगी-बहरी सरकार ही ऐसा कर सकती है। भाकियू सुप्रीमो ने कहा कि 10 प्रतिशत लोग मनमानी करते हुए हुए 90 प्रतिशत लोगों की अनदेखी नहीं कर सकते।
बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लंबे समय से दिल्ली की दहलीज पर बैठे हैं। 26 नवंबर से शुरू हुए इस किसान आंदोलन को सात माह पूरे हो गए। भाकियू प्रवक्ता पहले ऐलान कर चुके हैं कि हर माह 26 तारीख आती है और जब तक हमारी मांग नहीं मानी जाती, हर 26 तारीख को किसान कुछ न कुछ बड़ा आयोजन करेंगे। उन्होंने सहानपुर और मुजफ्फरनगर से ट्रैक्टर मार्च गाजीपुर बार्डर पहुंचने पर कहा कि हमने तो किसानों से सिर्फ दिल्ली की ओर ट्रैक्टरों का मुंह करके खड़े करने को कहा था, किसान तो बार्डर पर आ लिए। सरकार मूंछों की लड़ाई छोड़कर देश के अन्नदाता की मांग मान ले।
भाकियू अध्यक्ष ने मंच से संबोधन में कहा कि सरकार खामखां हठधर्मी कर रही है। गलत कानून बन गए तो उन्हें वापस ले ले। साथ में उन्होंने यह भी कहा किसानों की मांग मानकर सरकार हार जाएगी, ऐसा नहीं है। “हम चाहते हैं किसान की भी जीत हो, सरकार की भी जीत हो। यह सरकार किसानों ने बनाई है, किसानों की सरकार है तो फिर हार-जीत की तो कोई बात ही नहीं है।” नरेश टिकैत ने कहा कि देश का किसान कमजोर नहीं है। सरकार को अपनी जिद छोड़नी होगी।
पिछले सात माह से गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवता राकेश टिकैत के नेतृत्व में कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन चल रहा है। नरेश टिकैत ने कहा अभी यह ट्रैक्टर मार्च सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जनपद का है। दूसरे जिलों से भी ट्रैक्टर मार्च गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेंगे।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो