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सिटीजन कार्नर
– विकास चंद्र कुमार
मत निकल, मत निकल
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शत्रु ये अदृश्य है,
विनाश इसका लक्ष्य है,
कर न कोई भूल तू
ज़रा भी मन से तू
मत फिसल
मत निकल
मत निकल
हिला रखा है विश्व को
रुला रखा है विश्व को
फूँक कर बढ़ा क़दम
ज़रा सँभल
मत निकल
मत निकल
उठा जो एक ग़लत क़दम
कितनों का घुटेगा दम
तेरी ज़रा सी भूल से
देश जाएगा दहल
मत निकल
मत निकल
बाहर से तू कुछ भी पा,
सोडे-गर्म-पानी से धुला
अगर ख़ुद तू बाहर से आ
कपड़े व हाथ धो, तू नहा
मजबूरी हो तो ऐसा कर
कीटाणु जायेंगे निकल
मत निकल
मत निकल
संतुलित व्यवहार कर
बन्द तू किवाड़ कर
घर में बैठ चल, कर शयन
मत मचल
मत निकल
मत निकल
यह भी देखें:
Arrey Ye Jo Corona hai …a parody on the importance of lockdown has a yodeling effect!
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