– रमेश चंद शर्मा
खादी
गांधी की खादी सरल-सादी,
मिटाए बर्बादी, बेकारी, बादी,
उत्सव, त्यौहार हो या शादी,
हर समय पहनूंगा खादी।
काते सो पहने, पहने सो काते,
काम ज्यादा, उससे कम बातें,
कथनी-करनी के अंतर को पाटे,
भेद की सारी खाई प्रेम से पाटे।
खादी वस्त्र नहीं विचार है,
करुणा से काता गया तार है,
अंतिम व्यक्ति का आहार है,
जीवन का सच्चा सार है।
खादी खेती गोपालन ग्रामोद्योग,
चलती रहे इनकी सतत शोध,
खत्म हो जन जन के सारे रोग,
समाज रहे स्वस्थ प्रसन्न निरोग।
जीव जन्तु प्रकृति का सुंदर योग,
आवश्यकता पूर्ति, मिटे झूठा भोग,
सत्यमेव जयते, सत्ता पर लगे रोक,
मिलकर रहें, मिट जाए नोंक झोंक।
एकता न्याय शांति सदभावना समता,
गंगा गांव गौ गौतम गांधी की ममता,
खुशहाल भारत जन जन में रमता,
खादी खेती गोपालक ग्रामोद्योगी जनता।
सत्ता मुक्त हो जन जन की खादी,
स्वदेशी, स्वाभिमानी, स्वावलंबी,
घर घर में हो चर्खा कताई,
सभी खाएं भरपेट दूध मलाई।।
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