किसानों के अनशन के मद्देनज़र राजधानी में व्यापक सुरक्षा प्रबंध
दिल्ली: कृषि कानून के खिलाफ अपने आंदोलन के 18 वे दिन कल संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित अनशन के मद्देनज़र राजधानी में प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस द्वारा पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं जैसे पिछले 17 दिनों से किए जा रहे थे जिनमें बहुस्तरीय अवरोधक लगाना और पुलिस बल को तैनात करना शामिल है।केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने आज कहा है कि केंद्र सरकार जल्दी ही किसानों से वार्ता पुनः आरम्भ करेगी। अभी तक सरकार और किसान नेताओं के बीच पांच बार बैठकें हो चुकी हैं और इसका कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आज हुई अपनी बैठक के बाद कहा कि कल का अनशन सुबह 8 बजे से सांय 5 बजे तक सभी दिल्ली के सभी बॉर्डरों (कुंडली बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, पलवल बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर) पर होगा। यहां किसान नेताएक दिन का अनशन करेंगे और साथ ही कल देशभर में जिला मुख्यालयों पर किसान धरना प्रदर्शन भी करेंगे।
यह भी पढ़ें : कृषि कानून और किसान – अब तो किसान न्यायालय का दरवाजा भी नहीं खटखटा सकता
दिल्ली तक पहुँचने वाले सभी रास्तों पर नज़र रखी जा रही है। रेवाड़ी में जिला प्रशासन ने धारा 144 के अन्तर्गत 5 या उससे ज्यादा लोगों के जुटाव पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। वहीँ अलवर के पास किसानों ने जयपुर – दिल्ली हाईवे पर यातायात को बाधित कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा की मांगें है – सरकार द्वारा लाए गए 3 कृषि कानून रद्द किए जाएं, MSP गारंटी कानून बनाया जाए, प्रस्तावित बिजली बिल रदद् किया जाए और पराली जलाने के मुद्दे पर किसानों का शोषण बन्द किया जाए। उनका कहना है कि, “इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा की कोई मांग नहीं है। हमारा किसी अन्य मांग से कोई लेना देना नहीं है।
संयुक्त मोर्चा ने किसान नेता वीरेंद्र मोहन सिंह द्वारा दिए गए बयान पर भी किनारा कर लिया है उन्होंने कहा कि, “किसान नेता वीएम सिंह द्वारा कल दिया गया उनका अपना निजी बयान है, आल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन समिति द्वारा मीटिंग कर के वीएम सिंह को संयोजक के पद से हटा दिया गया है। वीएम सिंह द्वारा दिये गए किसी भी बयान से संयुक्त किसान मोर्चा का कोई लेना देना नहीं है। पलवल के धरने पर पहुंच रहे मध्यप्रदेश के किसानों की गाड़ियों के चालान गैरकानूनी तरीके से होडल में किये जा रहे हैं, संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा पुलिस की तानाशाही की निंदा करता है”।
दरअसल, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक सरदार वीएम सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बयान दिया था कि, “बाकी किसान संगठन सरकार से बातचीत करें या ना करें पर हम बातचीत के लिए तैयार हैं। हमारी मुख्य मांग एम एस पी गारंटी कानून है। अन्य मुद्दों पर सरकार के साथ बातचीत में चर्चा की जाएगी”।
आपको बता दें कि किसानों ने एक तरफ भारतीय किसान यूनियन (भानु) से कोई भी नाता होने पर साफ इंकार किया है उनका कहना है कि, ” बीकेयू भानु संगठन संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं है, चिल्ला बॉर्डर से हटने का फैसला बीकेयू (भानु) संगठन का निजी फैसला है, संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन का भारतीय किसान यूनियन भानु संगठन से कोई लेना देना नहीं है। हमारा आंदोलन पहले की तरह ही चलता रहेगा।”
वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि, “सरकार को गोला लाठी की जरूरत है। हमने किसानों से कहा है कि कृषि यंत्रों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पहुँचे। अब सरकार को गोला लाठी देने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि देशभर में ऐतिहासिक प्रदर्शन होगा। जो किसान व्यस्त है या साधन के कारण नही आ पा रहे है वह सब स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन कर रहे है। किसान कौम एक साथ है। यह आंदोलन एक ऐतिहासिक आंदोलन है। सरकार किसानों की एकता को तोड़ना चाहती है, लेकिन किसान इनको जान गया है”।
राकेश टिकैत 13 किसानों के उस कोर ग्रुप में शामिल हैं जिन्हें गृह मंत्री अमित शाह ने कृषि संशोधन बिल पर अलग से बात चित के लिए बुलाया था।
किसान आंदोलन को अपना समर्थन दोहराते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “कुछ केंद्रीय सरकार के मंत्री और भाजपा नेता कह रहे हैं कि किसान राष्ट्र-विरोधी हैं. कई पूर्व सैनिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी, गायक, मशहूर हस्तियां, डॉक्टर, व्यापारी किसानों का समर्थन कर रहे हैं. बीजेपी से पूछना चाहते हैं कि क्या ये सभी लोग भी देशद्रोही हैं?