विविध
सब की आस जगाए बादल
– रमेश चंद शर्मा
उमड़ घुमड़ कर आए बादल,
पूरी पहाड़ी पर छाए बादल,
पानी की बूंदें लाए बादल,
पेड़ों को चमकाए, हरषाए बादल,
कभी नहीं घबराते बादल,
उड़ कर कहीं भी जाते बादल,
मन मोर को नचाते बादल,
सबको पानी देते बादल,
समुद्र से पानी उठाते बादल,
आकाश में उड़ जाते बादल,
हमारे पास पानी लाये बादल,
सबको खुश बनाये बादल,
दिल में आशा जगाते बादल,
किसान को हंसी दिलाते बादल,
खेत में सोना बरसाते बादल,
हमारा भोजन लाते बादल,
प्रकृति को हराभरा बनाये बादल,
उमड़ घुमड़ कर आए बादल,
सब की आस जगाए बादल।।
[the_ad_placement id=”sidebar-feed”]