– रमेश चंद शर्मा
बूँद
बूँद बड़ी मतवाली है
भरती धरती की प्याली है
एक जगह न जड़ जमाएं
उड़ती, चलती, बहती जाएँ
पहुंचे जहाँ जीवन फैलाए
जीवन में हरियाली लाएं
बच्चे भीगें शोर मचाएं
पेड़ -पौधे जीव- जंतु नहाएं
बूँद बने बहता पानी
जीवन की हुई शुरू कहानी
सागर से उठी बदली में आई
रूप बदल फूले न समाई
बदली छोड़ बूँद बन धाई
धरती माँ ने गोद फैलाई
बूँदे मिलकर बन गया जल
नाच उठा नभ और थल
ऐसी सधी जल-धारा
उद्गम नदी माता का प्यारा
नदी-नाले- पोखर भर जाए
धरती माँ की प्यास बुझाए
धरती माँ में बूँद समाई
भंडार की खूब हुई कमाई
जल का सच्चा बजट खाता
इसे बढ़ाती नदी माता
रखो सदा इसे आज़ाद
नहीं करो कभी बर्बाद
बिना इसके जीवन रुखा
धरती पर पड़े सूखा
बचत खाता काम आए
जीव- जगत की जान बचाए
बूँद-बूँद से बनता पानी
छोटी बूँद की बड़ी कहानी
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आभार धन्यवाद शुक्रिया। आशीर्वाद
रमेश चंद शर्मा