– नीलिमा शर्मा
बचपन
भूलाए न भूले वो बचपन क्या करें उन यादों का ?
जो इस दिल से चिपक कर रह गई
ये समय है निरंतर चलता है
ये किसी के रोके नहीं रुकता
और अब
आनेवाली पीढ़ी उस बचपन के आगोश में फलफूल रही हैं
समय ने यह अहसास कराया कि
अब हम बड़े हो गए हैं
आओ अब मिलकर हम नई पीढ़ी का करें आह्वान
और अपनी यादों को संजो कर दिल के किसी कोने में रखें
और फिर
किसी दिन उस पिटारी को खोलकर
उन सुनहरी यादों में जाएं खो।
नीलिमा