– रमेश चंद शर्मा
तू ही तो सम्मान है
तू चल,
तेरे पास पांव हैं,
हल है, कुदाल है,
दरांती की धार है,
खुरपी की खुदाई है,
मिट्टी की खुशबू है,
पेड़ की छांव है,
आस है, ऊर्जा है,
चाह है, राह है,
बीज है, जीव है,
सपना है।
तू चल,
तू चल सकता है,
तेरे में दम है,
खम है,
मिटाने तूझे गम हैं।
तू मजदूर है,
किसान है,
तू अन्नदाता है,
सबको खिलाता है,
तू शान है,
तू मान है,
तू ही तो सम्मान है।
तू चल,
तू चल सकने की क्षमता है,
मां की ममता है,
साया है,
आंचल की छाया है।
तू कमेरा है,
सहारा है,
माथे का पसीना है,
हाथ का छाला है,
फूलों की माला है,
धरती का लाल है।
तू चल,
तू ही चल सकता है।
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आभार धन्यवाद शुक्रिया। आशीर्वाद
रमेश चंद शर्मा