– रमेश चंद शर्मा
कठिन है, असंभव नहीं
हृदय प्यार से भरा हो
स्वभाव एकदम खरा हो
विचारों में उदारता हो
व्यवहार में विनम्रता हो
कदम में सहज स्थिर चाल हो
हाथ में सेवा, सद्कर्म, रचना कमाल हो
मन में सपना हो, दिल अपना हो
आंखों में तेज हो, ओठों पर मुस्कान हो
मुंह में जुबान हो, शरीर में जान हो
स्व की पहचान हो, घर में मेहमान हो
स्वाभिमान का भान हो
संस्कृति, संस्कारों का ज्ञान हो
जीवन की चाह हो, चलने को राह हो
जीव का सम्मान हो, जीने का अरमान हो
बातों में संयम, करनी में जोश हो
आंखें खुली हुई, दिमाग में होश हो
ऐसे बच्चे, बूढ़े, नौजवान हो
हाथों में जिनके समाज की कमान हो
यह भी पढ़ें: एक कविता: मैं खण्ड, पाखण्ड, अखण्ड, मालूम नहीं
आभार धन्यवाद शुक्रिया। आशीर्वाद
रमेश चंद शर्मा