तहकीकात-2
– श्वेता रश्मि*
बनारस के महादेव महाविद्यालय के दस्तावेजों पर मान्यता संबंधित मामले पर पाया गया कि 2002 में कागज़ों पर उसका उदय हुआ बिना ज़मीन के और उसी तरह उसे मान्यता भी मिल गई बिना इस बात की जांच किये कि बरियासनपुर स्थित महादेव महाविद्यालय के पास इंच भर भी जमीन नहीं, और ना योग्यता कॉलेज को चलाने के लिए।
कहानी थोड़ी फिल्मी है क्योंकि आम आदमी को इतने सारे कागज़ के पेंच पार करने पड़ते है कि उसकीं कमर टूट जाती है आवयश्क कारवाई पूरी करते करते। इसकी पुष्टि जिला अधिकारी के द्वारा भेजे गये चिट्टी से होती है जिसकी कॉपी हमारे पास उपलब्ध है।
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ये फर्ज़ीवाड़ा दिल्ली स्थित बोधिसत्व फाउंडेशन के द्वारा पड़ताल के बाद लोगों की संज्ञान में आया। लेकिन विडंबना देखिये कि अभी भी इस फर्ज़ीवाड़े में संलग्न लोगों पर अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है और फाउंडेशन की जून 2020 से की जा रही शिकायतों पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति, रजिस्ट्रार और संबंद्धता विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। इससे सीधे तौर पर इस फर्ज़ीवाड़े में उनकी भूमिका के ऊपर प्रश्न उठता है। सूत्रों के मुताबिक रजिस्ट्रार और कुलपति छुट्टी पर हैं ।
मुझसे हुई बातचीत में रजिस्ट्रार ने सिर्फ ये कहा कि कागज़ देखना उनका काम नहीं है। यह बड़ी हैरानी की बात है कि खतौनी पर कॉलेज खुल जाता है और अधिकारी फ़ाइल भी देखने की जहमत नहीं उठाते।
अब तक की कहानी ये है कि 2019 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ महादेव महाविद्यालय को 2019 में 4 साल के नये कोर्स शुरू करने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देता है। साथ ही नेशनल कौंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एन सी टी सी) की मान्यता भी महादेव महाविद्यालय बरियासनपुर गांव ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के साथ मिलकर चेंज ऑफ़ लैंड यूज़ (सी एल यू) हासिल की। इसे घोटाला बताते हुए बोधिसत्व फाउंडेशन ने एक शिकायत कानूनी प्रक्रिया के तहत डाली है।
फाउंडेशन का कहना है कि मामले को उठाने के बाद लगातार उस पर दबाव डाला जा रहा है कि इसमें बड़े राजनैतिक लोग शामिल है और किसी भी तरह मामला दबा दिया जाए।
*श्वेता रश्मि दिल्ली स्थित पत्रकार हैं ।