गाजियाबाद: यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर 28 नवंबर से चल रहा किसान आंदोलन शनिवार को भी जारी रहा। मौसम के करवट बदलने के साथ ही यहां किसानों ने गर्मी से बचाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। टेंटो को हवादार बनाने के साथ ही, टेंटो में मच्छरों से बचाव के लिए जालियां, बांस और टिन का उपयोग कर लंबे समय तक टिकने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा धूप से बचने के लिए चटाईयां लाई जा रही हैं। टेंटों का बड़ा भी किया जा रहा है। किसानों का कहना है बड़े टेंटो में कई किसान एक साथ आ सकेंगे। जहां पर एसी, कूलर और पंखे की भी व्यवस्था की जाएगी। गाजीपुर आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि आंदोलन स्थल स्थित लंगरों में फ्रिज की व्यवस्था करने के साथ टेंटो में गर्मी से बचने के लिए इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं।आंदोलनकारी किसानों ने आज यहाँ मंच से घोषणा की कि जब तक भारत सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, किसान दिल्ली की सीमाओं से अपने घर जाने वाला नहीं है।
गाजीपुर मोर्चा का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को लगता है कि किसान गर्मी से डरकर भाग जाएगा, ऐसा नहीं है। जो किसान सर्दी से नहीं डरा, वह गर्मी से भी नहीं डरने वाला। उन्होंने शनिवार को एक बार फिर दोहराया, जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं। उन्होंने कहा कि खेतों में भी काम प्रभावित ना हो, इसके लिए हमने रणनीति तैयार कर ली है। किसान नंबर- बारी से आंदोलन स्थल पर आते रहेंगे और फिर जाते रहेंगे। इसके अलावा यह भी तय किया गया है कि जो किसान आंदोलन में रहेगा, गांव वाले उसके खेत का, उसके काम का पूरा ध्यान रखेंगे।
बिजनौर में एक किसान द्वारा फसल जलाए जाने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसा करना ठीक नहीं है। इससे नुकसान होता है। हमने अभी केवल यह आव्हान किया है कि किसान आंदोलन के लिए अपनी एक फसल कुर्बान करने को तैयार रहें। इसका मतलब यह नहीं है कि फसल में आग लगा दें, नहीं। आंदोलन के लिए जरूरत पड़ी तो किसान फसल का मोह छोड़ने को तैयार रहें। हालांकि अभी आंदोलन उस स्थिति में नहीं है, यह आव्हान बहुत ही विपरीत स्थिति के लिए किया गया था। उन्होंने किसानों से अपील की है कि आवेश में आकर अभी ऐसा कोई कदम न उठाएं।
अब जब किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर तीन माह का समय पूरा होने को है, आंदोलन के दौरान ऐसे तमाम लोग रहे जिन्होंने अपना जन्मदिन यहां मनाया। “अब किसान इस बात की मांग करने लगे हैं कि उनके शादी ब्याह और सगाई समारोह आदि आंदोलन स्थल पर ही किए जाएं,”भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र मलिक ने कहा। राकेश टिकैत ने बताया कि 2 मार्च को एक वैवाहिक कार्यक्रम यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर करने की इच्छा जाहिर की गई है। “ऐसे कार्यक्रम जो लोग यहां करेंगे तो वर और बधु, दोनों पक्षों की ओर से 51 हजार रूपए सेना के रिलीफ फंड में दिए जाएंगे,” टिकैत ने कहा।
इस बीच शनिवार को गाजीपुर बार्डर आंदोलन स्थल पर एक झोपड़ीनुमा तिपहिया पहुंचा। दरअसल तिपहिए को पूरी तरह फूस की झोपड़ी से कवर किया गया है, और इस झोपड़ी को तिरंगे के रंगों से रंगा गया है। उसके ऊपर तिरंगा लहरा रहा है और बगल में लगा है किसानी का झंडा। ऑटो के ऊपर बनाई गई झोपड़ी करीब दस फीट लंबी तीन फीट चौड़ी है। झोपड़ी में हुक्का पीने के साथ सोलर पैनल से पंखे चलने और मोबाइल चार्जिंग की भी व्यवस्था की गई है। झुग्गी को विकास, सोनू और जगबीर अपने दोस्तों के साथ रोहतक से लेकर पहुंचे गाजीपुर बार्डर पहुंचे।
शनिवार को भी महाराष्ट्र से किसानों का एक जत्था गाजीपुर बार्डर पर पहुंचा और आंदोलन को समर्थन दिया।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो