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राज्यों से : हिमाचल प्रदेश
– लता
शिमला: कोरोना संक्रमण की इस स्थति को देखते हुए प्रदेश में आए शहरी गरीबों को 120 दिनों के लिए रोजगार प्रदान करने के लिए बनाई गई मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शहरी आजीविका योजना 15 जून को आरंभ की है। इस योजना के तहत शहरी गरीबों को मनरेगा कि तर्ज पर अपने घर के नजदीक 120 दिनों के लिए रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने भाजपा मंडल कुटहेलअड़ कि वर्चुअल रैली को संबोधित कर इस योजना की घोषणा की। साथ ही साथ मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच चल रहे राजनितिक घमासान के कारण इस रैली में भी प्रदेश की व्यवस्था के ऊपर इशारा करते हुए कांग्रेस के ऊपर टिपण्णी करते हुए कहा कि प्रदेश की स्थिति सभी कांग्रेस शासित प्रदेशों राज्यों की तुलना में कहीं बेहतर है। कुछ समय पहले कांग्रेस और भाजपा के बीच कोरोना को लेकर एक दूसरे के ऊपर वार करते देखा गया था। खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कोरोना संक्रमण के इस दौर में राज्य को एक क्वारांटाइन डेस्टिनेशन बनाने के रूप में बढ़ावा दिया था और एक टेलीविजन शो के दौरान कहा कि “हिमाचल कोरोना वायरस के इस दौर में पृथक वास के लिए एक गंतव्य हो सकता है”, जिसके ऊपर विपक्ष ने सवाल खड़े किए थे और निंदा करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री के एक सुझाव से पर्यटन को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है पर होटल व्यपारियों में भी इस के लिए कोई उत्साह नहीं है।
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इसी के साथ कोरोना महामारी के सन्दर्भ में स्थिति से निपटने के लिए 14 जून को हिमाचल की आपदा प्रबंधन कार्यकारी समिति के द्वारा क्वारांटाइन के नियमों में संशोधन किया गया है। अब तक हिमाचल में कोरोना संक्रमण के कुल 569 मामले सामने आए है, 372 मामले ठीक हो चुके है और 8 लोगो की इस बीमारी कि वजह से मौत हो चुकी है।अनलॉक – 1 के तहत काम कर रहे प्रवासी मजदूरों को सीधा बागवानी, कृषि, ठेकेदार और परियोजनाओं के कार्यस्थल पर सीधा भेजा जाएगा जहां पर विशेष रूप से क्वारांटाइन के दिशा निर्देश जैसे शारीरिक दूरी और लक्षणों कि निगरानी रखी जाएगी और इसके चलते मजदूर तुरन्त अपना काम आरंभ कर सकते है। हालांकि इन मजदूरों को दिशा निर्देश व निगरानी की अवधि स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग द्वारा सुनिश्चित कि जाएगी और इन्हीं के दिशा निर्देशों के अन्तर्गत मजदूर अपने काम पर वापस जा सकेंगे।
देश भर में वैश्विक महामारी के कारण हुए संपूर्ण लॉकडाउन का सबसे अधिक असर फार्मा छोड़ बाकी सभी क्षेत्रों और खासकर कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम कर रहे मज़दूरों पर ही पड़ा है। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की परेशानी को देखते हुए सरकारों ने उन्हें राहत के तौर पे उनका वेतन देने के आदेश दिए थे। लेकिन ज़मीन पर यह आदेश और सरकार के सभी दावे खोखले देखे गए। केंद्र सरकार के श्रम विभाग ने 20 मार्च, गृह मंत्रालय ने 29 मार्च व प्रदेश सरकार के श्रम विभाग ने 30 मार्च 2020 की अधिसूचनाओं में स्पष्ट गया किया है कि ऐसी स्थिति में मजदूरों के वेतन सहित सभी सुविधाएं समयानुसार प्रदान की जाएं व श्रम कानूनों की सख्ती से अनुपालना की जाए व इसकी अवहेलना करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
लेकिन इसके बावजूद भी देखा गया कि मालिकों ने मजदूरों को किसी भी प्रकार से मदद नहीं की। इसको लेकर मज़दूर संगठन सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने प्रदेश के उद्योगपतियों,कारखानेदारों व पूंजीपतियों द्वारा केंद्र व प्रदेश सरकार के आदेशों को ना मानने की कड़ी निंदा की। इस विषय में सीटू ने प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की थी कि सरकार की व ऐसे उद्योगपतियों व व्यापारियों के ऊपर करवाई करे और मजदूरों को उनका हक दिलाए। सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि “इन अधिसूचनाओं की सरेआम धज्जियां उड़ रही हैं”। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदेश सरकार के मुख्यालय शिमला शहर में ही इन अधिसूचनाओं को लागू नहीं किया जा रहा था और शिमला शहर के ख़लीनी में स्थित एक होटल में ही कार्यरत एक सौ बीस मजदूरों व कर्मचारियों की स्थिति दयनीय थी क्योंकि होटल के मालिक व प्रबंधन ने उन्हें पिछले तीन महीने का वेतन नहीं दिया था जिससे इन मजदूरों व कर्मचारियों को खाने के लाले पड़ गए थे ।
कोरोना महामारी और लॉक डाउन की परिस्थिति से मजदूर भारी आर्थिक व मानसिक परेशानी में है। प्रदेश में लॉकडाउन होते ही अनेकों का रोजगार खत्म हो गया था। खबरों के मुताबिक हमीरपुर के नादौन में लगभग भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके उत्तर प्रदेश निवासी एक मजदूर ने आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी । जेब में पैसा न होने के कारण प्रदेश में सैंकड़ों मजदूर घरों की ओर निकल गए थे और ऐसे अनेकों उदाहरण कांगड़ा, पठानकोट, मैहतपुर, नंगल, कालाअंब, हरियाणा, बद्दी, चंडीगढ़, पौंटा साहिब, उत्तराखंड व परवाणू, कालका सीमा जैसी जगहों पर देखने को मिले थे। मजदूरों की स्थिति को देखते हुए सरकार ने हिमाचल प्रदेश श्रमिक कल्याण बोर्ड से जो दो हज़ार रुपये मासिक आर्थिक सहायता की घोषणा की थी वह भी कानून अनुसार बोर्ड में पंजीकृत लगभग एक लाख मजदूरों पर ही लागू होती थी और नाकाफी थी।
उत्तर प्रदेश के काफी मज़दूर जो कंस्ट्रक्शन लाइन में थे वे तो वापिस चले गए । बद्धी से, जहां फार्मा इंडस्ट्री ज्यादा हैं १५-२० बसों में घर चले गए थे उनमे से तकरीबन ५०% वापिस लौट आये हैं।वहां दरअसल फार्मा कंपनियों में काम चालू रहने की वजह से मज़दूरों को बहुत ज्यादा आर्थिक तंगी नहीं झेलनी पड़ी थी ।
राज्य के राजस्व विभाग व आपदा प्रबंधन के एक प्रवक्ता ने यह बताया कि संशोधित नियमों ने अनुसार मानक संचालन के तहत अब राज्य में आने जाने के लिए औेद्योगिक कर्मचारी, उद्योगपति, फैक्ट्री मालिक, व्यापारी, कच्ची सामग्री, सेवा प्रदाता और निरीक्षण अधिकरियों को होम क्वारांटाइन से छूट दी गई है। राज्य में प्रवेश करने के लिए वैध सहायक दस्तावेज व परमिट ई – पास के साथ प्रवेश करने वाले तथा जो व्यक्ति कंटेनमेंट जोन और कोरोना के ज्यादा प्रभावी वाले इलाकों से नहीं आ रहे है उनके लिए भी क्वारांटाइन के नए नियमों के तहत छूट दी गई है व कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशा निर्देश पालन करने को कहा गया है। साथ ही व्यापार, व्यवसाय, रोजगार, परियोजना, सेवा के उद्देश्य, कमिशन एजेंटों व आढ़तियो को भी क्वारांटाइन से पूरी तरह छूट दी गई है।
परन्तु क्या इन उपायों से कोरोना की मार और प्रशासन की बेरुखी झेल चुके मज़दूरों में विश्वास जागेगा? यह तो समय ही बताएगा।
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