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– साक्षी पटवाल
होमियोपैथी की दवाइयों से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता और कोविड-19 से बचने के लिए यह काफी कारगर साबित हो रही है। इन दवाइयों का साइंटिफिक आधार भी है और आयुष मंत्रालय भी इन दवाइयों की सिफारिश करता है। पर होम्योपैथिक डॉक्टरों की माने तो उन्होंने कहा है कि कोई भी दवाई डॉक्टर से पूछ कर ही ले।
हाल ही में मदरलैंड इंटरनेशनल फाउंडेशन (एनजीओ) द्वारा आयोजित होम्योपैथिक: क्योर फॉर कोरोना वेबीनार में जाने-माने होम्योपैथिक के डॉक्टरों ने भाग लिया जहां आयुष मंत्रालय की डॉ लीना चैत्रे-गोडबोले ने बताया कि ऐसी बहुत होम्योपैथिक दवाइयां है जो इम्यूनिटी बढ़ाने के तौर पर ली जा सकती है और उनसे फायदा भी हुआ है। उन्होंने आर्सेनिकम एल्बम 30 सी, कैंफोर, बेलेडोना, जस्तिशिया, पुल्सतिल्ला जैसी दवाइयों के बारे में बताया जो इम्युनिटी बढ़ाने में सक्षम हैं पर साथ ही कहा कि किसी भी दवाई को एक चिकित्सक से पूछ कर ही लेना चाहिए।
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कोविड़ महामारी का कोई भी वायरस है जो म्यूकस मेम्ब्रेन के आसपास के सेल से प्रवेश करता है और जब उस वायरस को सेल रोकने की कोशिश करता है तो उसे मेडिकल की भाषा में इंसुलेशन बोलते हैं इस वजह से सेल को क्षति पहुंचती है। ऐसे में इंसान की सूंघने की शक्ति कम हो जाती है। डॉ लीना ने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि मरीज के ठीक होते ही हमारे सूंघने की शक्ति अपने आप आ जाती है परंतु अगर मरीज को इलाज की जरूरत है तो होम्योपैथिक डॉक्टर उसे उसके सिम्टम्स के मुताबिक उसे दवाइयां दे देंगे जिससे वह ठीक हो जाएगा।उन्होंने कहा कि दवाइयां अगर अपने जान पहचान के होम्योपैथिक डॉक्टर से पूछ कर ले तो अच्छा रहेगा।
वेबिनार में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. समुद्राला वेणुगोपाल चारी ने बताया कि “अगर किसी को पहले से ही रोग है तो उस इंसान के शरीर में वायरस आसानी से आ जाएगा क्योंकि रोग होने की वजह से उसके शरीर में इम्यूनिटी लेवल कम हो जाएगा जिससे वायरस का शरीर में प्रवेश करना आसान हो जाएगा। इससे कोई दिक्कत की बात नहीं है आप अपने सिम्टम्स के अनुसार होम्योपैथिक दवाई लेंगे तो आप जल्दी ठीक हो जाएंगे”। उन्होंने कोरोना की दवाई की खोज के बारे में बात करते हुए कहा कि पांडिचेरी के एक इंस्टिट्यूट में अभी हाल में ही होमियोपैथी से कोरोना के इलाज पर रिसर्च शुरू हुई है।
कोविड-19 एक भयंकर महामारी है जो जल्दी ही फैलती है इसमें होम्योपैथिक की दवाइयों यह करती है कि वह आपके इम्यून सिस्टम को बढ़ा देती है। इस पर बात करते हुए डॉक्टर अनुपमा गुप्ता जोकि होम्योपैथिक में पिछले 22 साल से अभ्यास कर रही है वह कहती हैं कि होम्योपैथिक दवाइयां अगर हम रोजाना ले तो हम कोविड़ से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि बहुत से लोग रोजाना आर्सेनिकम एल्बम 30 सी और साथ ही कैंफोर ले रहे हैं ।
डॉ. अनुपमा ने बताया कि उन्होंने कई रिसर्च और रिपोर्ट में यह देखा है 1या 2 हॉस्पिटल मे 50 प्रतिशत ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें कोरोना लिवर को भी प्रभावित कर रहा है और कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों के लीवर खराब होने की रिपोर्ट सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि यह इसलिए हो रहा है क्योंकि गंभीर मामले वाले लोगों को जो मेडिसिन दी जाती है वह लीवर को प्रभावित करती है इससे लिवर पर जोर पड़ता है और लिवर प्रभावित होता है। उन्होंने कहा लिवर के इलाज में होम्योपैथिक मेडिसिन काफी कारगर हैं ।
कोरोना छींकने और खांसने से फैलता है क्योंकि कोरोना महामारी एक विशिष्ट प्रोटीन है जो एंजियोटेंसिन नाम के एंजाइम के साथ मिलकर कर हमारे म्यूकस मेम्ब्रेन के अंदर रास्ता बना कर चली जाती है। डॉ प्रीति मनचंदा ने बताया कि कोई भी वायरस जब शरीर में प्रवेश करता है तो वह अपने आप को मल्टीप्लाई करने लगता है और अन्य इंफेक्शन में बढ़ने लगता है परंतु अगर हम अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत कर ले तो यह एंजाइम हमें प्रभावित नहीं करेगी। जैसे कि लिवर हमारे शरीर में एंजियोटेंसिन वन में बदल जाता है और लंग्स में 2 । यहीं से एंजियोटेंसिन कोविड़ जैसी महामारी के लिए रास्ता बना देता है। ” म्यूकस मेम्ब्रेन में एंजियोटेंसिन ज्यादा है इसलिए कोविड-19 इंफेक्शन के लक्षण में वो गले, मुंह के नीचे के रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट में मिलता है उसी के साथ यह बाकी ऑर्गेनों में भी फैल जाता है इसे सही करने का उपाय यह है कि ओरल हाइजीन को बनाए रखें, मास्क लगाएं ताकि सामने वाला अगर छींके भी तो इंफेक्शन होने की संभावना कम हो, गुनगुना पानी पीएं जिससे इंफेक्शन को बढ़ावा ना मिल सके”।
होम्योपैथिक और इलेक्ट्रो होम्योपैथिक में एकोनिटम नैपेलस एक ऐसा पौधा है जो कोल्ड और कफ, फीवर और एंग्जाइटी को भी ठीक करता है। अंत में उन्होंने कहा कि होमियोपैथी से कोविड के मरीज को मानसिक तौर पर मजबूत भी किया जा सकता है । दवाइयों के बारे में उन्होंने कहा कि जहां आर्सेनिक शरीर दर्द पर असर करता है, बरबेरीस किडनी को बचाता है, ऑक्टमन नेक एंग्जाइटी पर असर करता है”। उन्होंने कहा होम्योपैथिक दवाइयां शारीरिक रूप के साथ मानसिक और शरीर के पोषण को भी ठीक करती है।
डॉ. समुद्राला वेणुगोपाल ने शरीर में दर्द और जोड़ो के दर्द के बारे में बात करते हुए कहा कि “इम्यूनिटी कम हो जाने से वायरस के पूरे शरीर में फैल जाने से जोड़ो और हड्डियां कमजोर पड़ने लग जाती हैं क्योंकि वायरस धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है”। उन्होंने कहा कि एलोपैथिक इलाज की साथ साथ भी कोई भी होम्योपैथिक इलाज करवा सकता है और इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता।
कोरोना से यूरिनरी संक्रमण का भी डर बना हुआ है इस पर बात करते हुए होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन तेलंगाना के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर के. गोपाला कृष्णा ने कहा कि 3 से 9 प्रतिशत लोगों को ही यह यूरिनरी संक्रमण होता है। इसके 3 लक्षण है जो अधिक मात्रा में दिखाई देते हैं – फ्रीक्वेंट यूरिनेशन, हममेंस सिंड्रोम, प्रोटीनुरिअ। उन्होंने कहा कि इससे तो फिर इसमें किडनी भी प्रभावित होती है उसका अच्छे से उपचार कराना जरूरी है। उपचार के लिए प्रोस्टनम, टरेबिंथिनाए और भी दवाइयां होम्योपैथिक में है। उन्होंने कहा कि अगर किडनी प्रभावित हुई है तो बीमारी ज्यादा बढ़ सकती है लेकिन डॉक्टरों की सलाह से ही होम्योपैथिक की दवाइयों ली जाए।
इस राष्ट्रीय वेबिनार का संचालन पूर्वांचल महाराष्ट्र मंडल,दिल्ली के प्रवीर चित्रे ने किया जबकि मदरलैंड के चेयरमैन डॉ ए के अग्रवाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद से होमियोपैथी चिकित्सा प्रणाली पर काफी जोर दिया जा रहा है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और इंडियन फेडरेशन ऑफ़ यूनाइटेड नेशंस असोसिएशंस के मीडिया सलाहकार तथा प्रोग्राम डायरेक्टर दीपक पार्वतियार ने सभी डॉक्टरों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि होमियोपैथी की दवाइयां बनाने वाली कंपनियों की गुणवत्ता के ऊपर भी एक चर्चा की ज़रुरत है क्योंकि लोगों को अभी भी ज्यादा भरोसा जर्मनी में बनी होमियोपैथी दवाइयों पर है।
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