आम आदमी की पीड़ा
– प्रशांत सिन्हा
बक्सर और पटना तक में गंगा नदी में बहते शव एवं उन्नाव जिले में गंगा किनारे रेत के अंदर शवों का दफनाना अमानवीय एवं चिंता का विषय है। ये तैरते और दफनाए हुए शवों से मानवीय संवेदनाएं तार तार हो रही हैं। यह एक दुःख की घडी तो है ही पर साथ ही हमें यह भी समझना होगा कि इस संगीन समय में गंगा में प्रदूषण बढ़ने की भी संभावना है।
कोरोना महामारी से हजारों मौतें हो रही हैं जिससे तमाम घाटों पर अंतिम संस्कार की भारी भीड़ है। । कई जगहों पर 24 घंटों से ज्यादा की लाइन लग रही है। कहीं लाश जलाने के लिए नंबर के टोकन दिए जा रहे हैं तो कहीं लोग लाशों को सड़ने से बचाने के लिए रेफ्रीजिरेटर भाड़े पर ले रहे हैं। गरीबों के पास पैसे की कमी लकड़ी की उपलब्धता नहीं होने और डर के कारण शवों को नदी में बहा रहे हैं, अधजली शवों को छोड़ कर भाग जाते हैं और नही तो शवों को नदी के किनारों पर रेत के नीचे दफना रहे हैं।
कोरोना संक्रमण से मारे हुए लोगों की तैरते शवों से लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन इस बीच आईसीएमआर के अध्यक्ष डाक्टर बलराम भार्गव का कहना है कि वायरस को पनपने के लिए जीवित मानव शरीर ज़रूरी होता है। अगर मानव शरीर मृत है तो फिर उसमें वायरस के आगे पनपने का गुंजाइश कम रहती है। इसलिए घबराने की जरुरत नही है। लेकिन बहुत सतर्क रहने की जरुरत है।
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हालाँकि मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ ने अपने प्रशासनिक अधिकारियों को को इसे रोकने के लिए निर्देश दे दिया है, ये अधिकारी कितना रोक पाते हैं ये तो आने वाला समय बताएगा। कोरोना वायरस भले ही ही शवों से नही फैले लेकिन गंगा नदी के लिए ये बेहद नुकसानदेह है। इन शवों के कारण पानी पर बेशक असर पड़ेगा। पानी मर्ज वगैरह अपने साथ ही लेकर चलेगा, शवों की संख्या जितनी दिख रही है उस हिसाब से तो इस पानी का ट्रीटमेंट भी असंभव सी बात है। प्रशासन को चाहिए कि इन जगहों का पानी लेकर जांच करे। वैसे भी अभी नदी में पानी को किसी भी काम के लिए इस्तेमाल नही करना चाहिए। जानवरों को भी नदी के पास जाने से रोकना चाहिए। अगर लोग इस पानी का इस्तेमाल करेगें तो लोगों को बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों का खतरा हो सकता है। शव विषाणु से भरा होता है जिसे कंटेजियस कहते हैं। यह नदी के पास लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है जो सीधा नदी के पानी पर निर्भर हैं।
प्रशासन के साथ मिलकर लोगों को गहन निगरानी रखना चाहिए ताकि भविष्य में गंगा में शवों को फेंकने की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। प्रशासन को चाहिए कि गरीबों को शवों का अंतिम संस्कार के लिए आर्थिक सहयोग करे जिससे भविष्य में ऐसी घटनाएं रुक सके। अन्यथा कोरोना के बाद दूसरी बीमारी फैलने का खतरा बढ़ सकता है।
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