– ज्ञानेंद्र रावत
अब कौन शिवा आयेगा ?
टूट चुकी हैं अब जनता की
बाकी बरसों की आसें
देख रहे हम रोज यहां
अनगिनत जलती लाशें
साया उठा बच्चों के सिर से
हो गये अनाथ बिचारे
मां रोई और बहना रोई
उजड़ा सुहाग सती का
धरती कांपी रुदन देख
उस अबला नारि व्रती का
उसकी आंखों से अश्रु पोंछने
अब कौन शिवा आयेगा
अब कौन शिवा आयेगा….
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